भारत छोड़ो आंदोलन ( Quit India Movement in Hindi ) भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। यह आंदोलन 1942 में शुरू हुआ और इसका मुख्य नारा था “करो या मरो“, जिसे महात्मा गांधी ने दिया था। इस निबंध में हम भारत छोड़ो आंदोलन के कारण, महत्व, और परिणामों को आसान शब्दों में समझेंगे। यह लेख विद्यार्थियों, शिक्षकों और इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए अत्यंत उपयोगी है।

Quit India Movement: भारत छोड़ो आंदोलन क्या था?
भारत छोड़ो आंदोलन 8 अगस्त 1942 को शुरू हुआ, जब महात्मा गांधी ने मुंबई में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के अधिवेशन में ब्रिटिश शासन से भारत छोड़ने की मांग की। इसका उद्देश्य था ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन को भारत से समाप्त करना और भारत को पूर्ण स्वतंत्रता दिलाना। गांधीजी ने कहा, “हम या तो भारत को आजाद करेंगे, या इस कोशिश में अपनी जान दे देंगे।”
इस आंदोलन की शुरुआत क्यों हुई?
भारत छोड़ो आंदोलन के कई कारण थे:
- द्वितीय विश्व युद्ध का प्रभाव: 1939 में शुरू हुए विश्व युद्ध में ब्रिटिश सरकार ने भारत को बिना भारतीयों की सहमति के युद्ध में शामिल किया। भारतीयों नेताओं और जनता को यह अन्यायपूर्ण लगा।
- क्रिप्स मिशन की विफलता: 1942 में ब्रिटिश सरकार ने क्रिप्स मिशन भेजा, जो पूर्ण स्वतंत्रता का वादा करने में असफल रहा। इससे भारतीयों का गुस्सा बढ़ा।
- आर्थिक समस्याएँ: युद्ध के कारण महंगाई और खाने-पिने की वास्तव की कमी बढ़ गई, जिससे आम जनता परेशान थी।
- राष्ट्रीय भावना का उदय: भारतीयों में स्वतंत्रता की भावना जोर पकड़ रही थी। अब भारत के लोग ब्रिटिश शासन से मुक्ति चाहते थे।
भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्व और नारा
इस आंदोलन का नेतृत्व महात्मा गांधी ने किया। उनका नारा “करो या मरो” लोगों में जोश भरने वाला था। गांधीजी ने अहिंसक तरीके से विरोध करने की सलाह दी, लेकिन इस बार आंदोलन में हिंसक घटनाएँ भी हुईं। गांधीजी समेत कई बड़े नेता जैसे जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल और मौलाना आजाद को गिरफ्तार कर लिया गया। फिर भी, जनता ने हड़ताल, प्रदर्शन और सविनय अवज्ञा के जरिए आंदोलन को जारी रखा।

आम लोगों की भागीदारी
इस आंदोलन में हर वर्ग शामिल हुआ:
- युवा और छात्र: स्कूल-कॉलेज के छात्रों ने पढ़ाई छोड़कर प्रदर्शन किए।
- महिलाएँ: अरुणा आसफ अली और उषा मेहता जैसी महिलाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उषा मेहता ने गुप्त रेडियो स्टेशन चलाकर आंदोलन को प्रचारित किया।
- किसान और मजदूर: ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों ने कर (टैक्स) देना बंद किया और ब्रिटिश अधिकारियों का विरोध किया।
- आम जनता: रेलवे, डाकघर और सरकारी संपत्ति को निशाना बनाया गया, जिससे ब्रिटिश प्रशासन पर दबाव पड़ा।
भारत छोड़ो आंदोलन का महत्व
यह आंदोलन भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक मील का पत्थर था। इसके कुछ प्रमुख महत्व इस प्रकार हैं:
- राष्टवाद की जागरूकता का प्रसार: इसने पूरे देश में स्वतंत्रता की भावना को और मजबूत किया। हर गाँव और शहर में लोग एकजुट हुए।
- ब्रिटिश शासन पर दबाव: आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार को दिखाया कि भारतीय अब और विदेशी गुलामी नहीं सहेंगे।
- महिलाओं और युवाओं की भूमिका: इसने महिलाओं और युवाओं को स्वतंत्रता संग्राम में मुख्यधारा में लाया।
- स्वतंत्रता की नींव: इस आंदोलन ने 1947 में भारत की आजादी की राह आसान की।
भारत छोड़ो आंदोलन के परिणाम
- तात्कालिक प्रभाव: ब्रिटिश सरकार ने आंदोलन को दबाने की पूरी कोशिश की। हजारों लोग गिरफ्तार हुए, और कई शहीद हुए।
- दीर्घकालिक प्रभाव: इसने ब्रिटिश सरकार को कमजोर किया और उन्हें समझ आया कि भारत को ज्यादा समय तक गुलाम नहीं रखा जा सकता।
- स्वतंत्रता की ओर कदम: 1947 में भारत को आजादी मिली, जिसमें इस आंदोलन की बड़ी भूमिका थी।
निष्कर्ष
भारत छोड़ो आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक ऐतिहासिक आंदोलन था, जिसने पूरे देश को एकजुट किया। महात्मा गांधी के नेतृत्व में लाखों भारतीयों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ आवाज उठाई। यह आंदोलन हमें सिखाता है कि एकता और दृढ़ संकल्प से कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। आज भी यह हमें प्रेरणा देता है कि हमें अपने अधिकारों के लिए दृढ़ता से लड़ना चाहिए।
स्रोत-विकिपीडिया





