Physics Nobel Prize 2025 Announcement: फिजिक्स नोबेल प्राइज 2025 की घोषणा हो गई है, और ये खबर विज्ञान जगत में धमाल मचा रही है। आज 7 अक्टूबर 2025 को स्टॉकहोम से रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने जॉन क्लार्क, मिशेल एच. डेवोर्ट और जॉन एम. मार्टिनिस को भौतिकी के नोबेल पुरस्कार से नवाजा है। ये तीनों वैज्ञानिकों को सुपरकंडक्टिंग क्वांटम डिवाइसेस में क्रांतिकारी खोजों के लिए ये सम्मान मिला है, जो क्वांटम कंप्यूटिंग की नींव रखने वाली हैं।
अगर आप फिजिक्स नोबेल प्राइज 2025 विजेता, उनकी खोज या इसका महत्व जानना चाहते हैं, तो ये आर्टिकल आपके लिए परफेक्ट है। हमने nobelprize.org और अन्य विश्वसनीय स्रोतों से ताजा जानकारी ली है, ताकि विश्वनीय जानकारी मिले। चलिए, डिटेल्स में डुबकी लगाते हैं!

Physics Nobel Prize 2025 Announcement: फिजिक्स नोबेल प्राइज 2025 की घोषणा
नोबेल भौतिकी पुरस्कार 2025 की घोषणा आज दोपहर 3:15 बजे IST (11:45 बजे CEST) पर हुई। लाइव स्ट्रीमिंग nobelprize.org पर उपलब्ध थी, जहां एकेडमी के चेयरमैन ओलोफ रोमर ने विजेताओं के नाम की घोषणा की। प्रतिवर्ष की तरह, ये पुरस्कार तीन वैज्ञानिकों में साझा किया गया है, और कुल राशि लगभग 11 मिलियन स्वीडिश क्रोना (करीब 85 लाख रुपये) है। दिसंबर में स्टॉकहोम में समारोह होगा।
अगर आपने मिस कर दिया, तो यूट्यूब पर Nobel Prize चैनल से रिकॉर्डिंग देख सकते हैं। ये घोषणा क्वांटम साइंस के इंटरनेशनल ईयर 2025 के साथ मैच करती है, जो इसे और खास बनाती है!
विजेताओं के नाम: जॉन क्लार्क, मिशेल डेवोर्ट और जॉन मार्टिनिस की प्रोफाइल
भौतिकी नोबेल पुरस्कार 2025 के विजेता अमेरिकी वैज्ञानिक हैं, जिन्होंने क्वांटम मैकेनिक्स को रियल वर्ल्ड में बदल दिया। यहां संक्षिप्त परिचय-
| नाम | संस्थान | उम्र | योगदान |
|---|---|---|---|
जॉन क्लार्क (John Clarke)![]() | कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, बर्कले | 82 वर्ष | सुपरकंडक्टिंग क्वांटम इंटरफेरोमीटर्स (SQUIDs) विकसित किए, जो अति संवेदनशील चुंबकीय सेंसर हैं। इनका उपयोग MRI, भू-भौतिकी और क्वांटम मापन में होता है। |
मिशेल एच. डेवोर्ट (Michel H. Devoret)![]() | येल यूनिवर्सिटी | 70 वर्ष | कृत्रिम एटम्स और क्वांटम सर्किट्स के जनक। इन्होंने क्वांटम बिट्स (क्यूबिट्स) बनाए, जो क्वांटम कंप्यूटर्स का आधार हैं। |
जॉन एम. मार्टिनिस (John M. Martinis)![]() | यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, सांता बारबरा | 65 वर्ष | गुगल के क्वांटम AI लैब में क्वांटम प्रोसेसर्स डिजाइन किए। 2019 में साइकामोर प्रोसेसर के साथ क्वांटम सुप्रीमेसी हासिल की। |
जॉन क्लार्क: SQUIDs का जादू
जॉन क्लार्क ने 1970-80 के दशक में SQUIDs (Superconducting Quantum Interference Devices) को डेवलप किया। ये सेंसर इतने सेंसिटिव हैं कि एकल चुंबकीय फील्ड को माप सकते हैं। मेडिकल इमेजिंग से लेकर न्यूरोसाइंस और क्वांटम रिसर्च तक, इनका योगदान अपार है। उनकी रिसर्च ने क्वांटम डिवाइसेस को प्रैक्टिकल बनाया।
मिशेल डेवोर्ट: क्वांटम सर्किट्स के पिता
मिशेल डेवोर्ट ने 1990 के दशक में कृत्रिम एटम्स बनाए, जो सुपरकंडक्टर्स से बने क्यूबिट्स हैं। ये क्यूबिट्स 0 और 1 दोनों स्टेट्स में रह सकते हैं, जो क्वांटम कंप्यूटिंग का आधार है। उनकी खोज ने क्वांटम सर्किट्स को स्केल करने का रास्ता खोला।
जॉन मार्टिनिस: क्वांटम सुप्रीमेसी
जॉन मार्टिनिस ने गुगल के साथ मिलकर साइकामोर प्रोसेसर बनाया, जिसने 2019 में क्वांटम सुप्रीमेसी हासिल की – यानी एक टास्क को सेकंडों में किया जो सुपरकंप्यूटर्स को सालों लगते। उनकी रिसर्च ने क्वांटम प्रोसेसर्स को इंडस्ट्री लेवल पर ले जाने में मदद की।
ये तीनों दशकों से क्वांटम टेक्नोलॉजी पर काम कर रहे हैं। नोबेल समिति ने कहा, “उनकी खोजों ने क्वांटम जानकारी के भविष्य को बदल दिया।”
उनकी खोज क्या है? सुपरकंडक्टिंग क्वांटम डिवाइसेस की पूरी कहानी
नोबेल प्राइज इन फिजिक्स 2025 का थीम है सुपरकंडक्टिंग क्वांटम डिवाइसेस। सरल शब्दों में:
- SQUIDs (Superconducting Quantum Interference Devices): क्लार्क ने 1970-80 के दशक में ये बनाए। ये इतने सेंसिटिव हैं कि एकल चुंबकीय फील्ड को माप सकते हैं – मेडिकल MRI से लेकर भू-भौतिकी तक इस्तेमाल।
- कृत्रिम एटम्स और सर्किट्स: डेवोर्ट ने 1990 के दशक में क्वांटम बिट्स (क्यूबिट्स) जैसे एटम्स बनाए, जो सुपरकंडक्टर से बने हैं। ये क्वांटम कंप्यूटर्स का कोर हैं, जहां क्यूबिट्स 0 और 1 दोनों स्टेट में रह सकते हैं।
- क्वांटम प्रोसेसर्स: मार्टिनिस ने इन्हें स्केल-अप किया, गुगल के साइकामोर प्रोसेसर में योगदान दिया, जो 2019 में क्वांटम सुप्रीमेसी हासिल कर चुका।
ये खोजें क्वांटम कंप्यूटिंग को रियलिटी बनाती हैं, जहां कंप्यूटर्स क्लासिकल मशीनों से लाखों गुना तेज होंगे। लेकिन चुनौती: क्यूबिट्स को नॉइज से बचाना।
फिजिक्स नोबेल प्राइज 2025 का महत्व: क्वांटम क्रांति कैसे बदलेगी दुनिया?
फिजिक्स नोबेल 2025 सिर्फ सम्मान नहीं, बल्कि फ्यूचर टेक्नोलॉजी का गेटवे है। क्वांटम कंप्यूटिंग से:
- ड्रग डिस्कवरी: नई दवाएं तेजी से बनेंगी।
- क्रिप्टोग्राफी: पुराने कोड ब्रेक हो जाएंगे, नए सिक्योर सिस्टम आएंगे।
- क्लाइमेट मॉडलिंग: जटिल सिमुलेशन्स आसान।
- AI बूस्ट: क्वांटम AI से सुपर इंटेलिजेंट सिस्टम्स।
गुगल और IBM जैसे कंपनियां पहले से इन खोजों पर बिलियन्स इन्वेस्ट कर रही हैं। भारत में भी IISc और TIFR क्वांटम रिसर्च बढ़ा रहे हैं। ये प्राइज महिलाओं की कमी को हाइलाइट करता है – उम्मीद है भविष्य में ज्यादा डाइवर्सिटी आए!
पिछले नोबेल भौतिकी पुरस्कार
| साल | विजेता | खोज |
|---|---|---|
| 2025 | जॉन क्लार्क, मिशेल डेवोर्ट, जॉन मार्टिनिस | सुपरकंडक्टिंग क्वांटम डिवाइसेस |
| 2024 | जॉन हॉपफील्ड, जेफ्री हिन्टन | न्यूरल नेटवर्क्स और AI |
| 2023 | पियर-ओलिवियर पोल्क्वार्ट, जॉन हॉपफील्ड | मशीन लर्निंग फाउंडेशन्स |
| 2017 | बैरी बैरिश, किप थॉर्न, रेनर वीस | ग्रैविटेशनल वेव्स |
नोबेल प्राइज 2025 का बाकी शेड्यूल
- रसायन: 8 अक्टूबर।
- साहित्य: 10 अक्टूबर।
- शांति: 11 अक्टूबर।
- अर्थशास्त्र: 14 अक्टूबर।
मेडिसिन 2025 पहले ही घोषित: मैरी ब्रंकॉ, फ्रेड राम्सडेल, शिमोन सकागुची को इम्यून सिस्टम रिसर्च के लिए।
निष्कर्ष: क्वांटम का युग शुरू!
फिजिक्स नोबेल प्राइज 2025 ने जॉन क्लार्क, मिशेल डेवोर्ट और जॉन मार्टिनिस को सलाम किया, जो क्वांटम कंप्यूटिंग को सपने से हकीकत बनाएंगे। ये खोजें मानवता के लिए गेम-चेंजर हैं। अगर आप विज्ञान प्रेमी हैं, तो इन वैज्ञानिकों के इंटरव्यूज देखें। कमेंट में बताएं – आपको क्वांटम कंप्यूटिंग से क्या उम्मीदें? अपडेट्स के लिए बने रहें।
(ये आर्टिकल nobelprize.org और PBS न्यूज पर आधारित है। स्रोत: , )









