2025 नोबेल पुरस्कार अर्थशास्त्र: इनोवेशन से कैसे बढ़ती है अर्थव्यवस्था? | 2025 Nobel Prize in Economics

By Santosh kumar

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2025 Nobel Prize in Economics: नमस्कार दोस्तों! जैसा कि आप सबको पता है इस समय 2025 के नोबेल पुरस्कारों की घोषणा हो रही है और इसी क्रम में कल 2025 नोबेल पुरस्कार अर्थशास्त्र के विजेताओं की घोषणा की गई हैं। यह पुरस्कार, जो आधिकारिक तौर पर “स्वीडन के सेंट्रल बैंक अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में अर्थशास्त्र पुरस्कार” कहलाता है, इस बार उन तीन महान अर्थशास्त्रियों को मिला है जिन्होंने दुनियां को बताया कि इनोवेशन (नवाचार) कैसे अर्थव्यवस्था को तेजी से आगे बढ़ाती हैं। ये तीन महान अर्थशास्त्री हैं- जोएल मॉकीर, फिलिप एगियन और पीटर हॉविट जिन्होंने इस साल का नोबेल जीता है।

2025 नोबेल पुरस्कार अर्थशास्त्र: इनोवेशन से कैसे बढ़ती है अर्थव्यवस्था? | 2025 Nobel Prize in Economics
नामराष्ट्रीयतासंस्थान/विश्वविद्यालयप्रमुख योगदान
जोएल मॉकीरजोएल मॉकीर arthashastrइजरायल-अमेरिकीनॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी, अमेरिकाऔद्योगिक क्रांति और वैज्ञानिक समझ से प्रेरित दीर्घकालिक आर्थिक विकास पर शोध।
फिलिप एगियनPhilippe Aghion Nobel Prize Winner In Economics 2025 फ्रांसीसीकोलेज डी फ्रांस, INSEAD, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्सक्रिएटिव डिस्ट्रक्शन और इनोवेशन के आर्थिक प्रभाव पर मॉडल्स, खासकर शुम्पेटेरियन थ्योरी।
पीटर हॉविटPeter Howitt, Nobel Prize Winner In Economics 2025 कनाडाईब्राउन यूनिवर्सिटी, अमेरिकाइनोवेशन, नौकरियों, और आर्थिक विकास पर मैथमैटिकल मॉडल्स, विशेष रूप से एगियन के साथ।

Nobel Prize in Economics: नोबेल पुरस्कार 2025 अर्थशास्त्र: विजेताओं का परिचय

13 अक्टूबर 2025 को स्वीडन की रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने घोषणा की कि यह पुरस्कार नवाचार से प्रेरित आर्थिक विकास पर काम के लिए दिया जा रहा है। पुरस्कार की राशि 11 मिलियन स्वीडिश क्रोना (लगभग 1.2 मिलियन डॉलर) है, जिसमें आधा हिस्सा जोएल मॉकीर को और बाकी आधा फिलिप एगियन और पीटर हॉविट के बीच बंटेगा।

  • जोएल मॉकीर: ये इजरायल-अमेरिकी आर्थिक इतिहासकार हैं, जो अमेरिका के नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्री हैं। इन्होंने दिखाया कि तकनीकी की प्रगति के लिए सिर्फ नई चीजें बनाना पर्याप्त नहीं, बल्कि आधुनिक विज्ञान की समझ भी अतिआवश्यक है। उदाहरण के लिए, औद्योगिक क्रांति के दौरान यूरोप में कैसे वैज्ञानिक सोच ने विकास को स्थायी बनाया।
  • फिलिप एगियन: फ्रेंच अर्थशास्त्री, जो कोलेज डी फ्रांस, INSEAD बिजनेस स्कूल और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से जुड़े हैं। इन्होंने “क्रिएटिव डिस्ट्रक्शन” (रचनात्मक विनाश) की पद्धति पर काम किया, जो बताती है कि पुरानी चीजें जब नष्ट होती हैं तो नई चीजें उनका स्थान ग्रहण करती हैं – जैसे मोबाइल फोन ने प्राचीन लैंडलाइन को पीछे छोड़ दिया।
  • पीटर हॉविट: कनाडाई अर्थशास्त्री, ब्राउन यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर। इन्होंने एगियन के साथ मिलकर मॉडल बनाए जो दिखाते हैं कि कैसे नवाचार से नौकरियां परिवर्तित होती हैं, लेकिन कुल मिलाकर अर्थव्यवस्था मजबूत होती है।

ये तीनों ही नहीं, बल्कि उनके काम ने पूरी दुनिया को समझाया कि इनोवेशन ही विकास का इंजन है

इनोवेशन-ड्रिवन ग्रोथ क्या है? आसानी से समझें.

मित्रों कल्पना कीजिए– 100 साल पहले घोड़ा-गाड़ी से यात्रा होती थी, आज हवाई जहाज और इलेक्ट्रिक कारें। यह सब नवाचार की वजह से ही संभव हुआ। लेकिन अर्थशास्त्र में प्रश्न यह उठता है: यह विकास का क्रम कैसे निरंतर चलता रहता है?

इसके बारे विजेताओं ने बताया अपने विचार और सिद्धांत कुछ इस प्रकार प्रस्तुत किए

  • क्रिएटिव डिस्ट्रक्शन (रचनात्मक विनाश): पुरानी तकनीक को नष्ट करना (जैसे कोयला से सोलर एनर्जी) नई तकनीक को स्थान देता है। इससे नौकरियां भले ही कम हो सकती हैं, लेकिन नई बेहतर नौकरियांसृजित होती हैं। जोसेफ शुम्पेटर नाम के अर्थशास्त्री ने यह विचार दिया था, लेकिन इन तीनों ने इसे आसान सिद्धांत से गहराई से समझाया।
  • विज्ञान की भूमिका: मॉकीर ने कहा कि सिर्फ ट्रायल-एंड-एरर (गलतियां करके सीखना) से नहीं, बल्कि वैज्ञानिक समझ से नवाचार का सृजन होता है। जैसे, COVID वैक्सीन कैसे जल्दी बनी – क्योंकि बेसिक साइंस पहले से तैयार था और दुनिया को एक नई वैक्सीन की जरूरत थी।
  • सिद्धांत और मॉडल: एगियन और हॉविट ने गणितीय मॉडल बनाए जो दर्शाते हैं कि कंपनियां कैसे इनोवेट करती हैं और सरकारें कैसे मदद कर सकती हैं (जैसे पेटेंट लॉ या R&D वित्तीय मदद)।

यह सब सुनकर लगता है ना, जैसे ये सिद्धांत आज के AI बूम पर एकदम सटीक बैठते है! गूगल, टेस्ला जैसी कंपनियां पुराने तरीकों को खत्म कर नए-टूल्स को इनोवेट करते हैं।

यह पुरस्कार क्यों विशेष है? भारत और दुनिया के लिए इनका महत्व

2025 में AI, EV और ग्रीन टेक का समय चल रहा है है। ऐसे में यह नोबेल पुरस्कार बिल्कुल सही समय पर आया है।

  • विश्व के लिए महत्व: यह बताता है कि स्टैग्नेशन (रुकावट) से बचने के लिए इनोवेशन को बढ़ावा देना अत्यावश्यक है। कमिटी के चेयर पर्सन जॉन हसलर ने कहा, “क्रिएटिव डिस्ट्रक्शन को बनाए रखें, वरना हम पिछड़ जाएंगे।
  • भारत के लिए महत्व: हमारी अर्थव्यवस्था डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया से गतिशील हो रही है। लेकिन हमारे सामने चुनौती यह है कि पुरानी इंडस्ट्री (जैसे कोयला खनन) से नौकरियां कैसे बचें? इन थ्योरी से सीख मिलती है – स्किल डेवलपमेंट और नई तकनीक में निवेश करें। उदाहरण: उबर ने टैक्सी वाले को चुनौती दी, लेकिन ड्राइवरों के लिए नई कमाई के रास्ते खोले।

मॉकीर ने हाल ही में ट्रंप के टैरिफ पर चेतावनी दी कि इससे इनोवेशन बाधित हो सकता है। तो, पॉलिसी मेकर्स को नए सिरे से सोचना होगा!

निष्कर्ष: इनोवेशन ही भविष्य है!

अंतिम निष्कर्ष यही है कि 2025 नोबेल अर्थशास्त्र पुरस्कार हमें सचेत करता है कि अर्थव्यवस्था का असली चालक नए विचार और नवाचार हैं, न कि सिर्फ पैसे। जोएल मॉकीर, फिलिप एगियन और पीटर हॉविट जैसे अर्थशास्त्री हमें अपने सिद्धांतों समझते हैं, वह आज हर स्टार्टअप, हर वैज्ञानिक और हर सरकार के काम आएगा।

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