नेपोलियन बोनापार्ट (Napoleon Bonaparte) आधुनिक विश्व इतिहास का एक ऐसा तानाशाह है, जिसने अपनी महत्वाकांक्षा, रणनीतिक बुद्धि और सैन्य कौशल से सम्पूर्ण यूरोप को अपने सैन्य कौशल से कुचल दिया। एक छोटे से द्वीप पर एक साधारण गरीब घर में जन्मे नेपोलियन ने फ्रांस को यूरोप के एक शक्तिशाली साम्राज्य में बदल दिया, लेकिन उसकी अति महत्वाकांक्षाओं ने ही उसके पतन की गाथा लिखी। इस लेख में हम उसके प्रारंभिक जीवन से लेकर उदय, शासन, सुधार, विजय अभियान, परिवार, किताबें, पराजय और मृत्यु तक के इतिहास को उजागर करेंगे। उसके कुछ रोचल तथ्य भी जानेंगे जो वास्तव में आपने कभी न सुने होंगे।

Who Was Napoleon Bonaparte: नेपोलियन कौन था
नेपोलियन बोनापार्ट फ्रांस का एक महान सैन्य नेता, चतुर राजनीतिज्ञ और तानाशाह सम्राट थे, जिन्होंने 18वीं के अंत और और 19वीं शताब्दी के प्रारम्भ में यूरोप की राजनीतिक और भौगोलिक स्थ्तिति को बदलकर रख दिया। उसका जन्म 15 अगस्त 1769 को कोर्सिका द्वीप के अजैसियो शहर में हुआ था, जो उस समय फ्रांस का हिस्सा बन चुका था। उसके पिता कार्लो बोनापार्ट (Carlo Bonaparte) एक वकील और कोर्सिकन राष्ट्रवादी थे, उसकी माता लेटिजिया रामोलिनो (Letizia Ramolino) थी जो एक दृढ़ इरादों वाली महिला थी।
नेपोलियन को “द लिटिल कॉर्पोरल” (The Little Corporal) के नाम से जाना जाता है, कुछ लोग समझते हैं कि यह नाम उसकी छोटी कद-काठी की वजह है मगर ऐसा से नहीं है, बल्कि सैनिकों के साथ उसके घनिष्ठ संबंधों के कारण उसको यह उपनाम मिला। आपको बता दें नेपोलियन की लंबाई 5 फीट 7 इंच थी, जो उस समय के औसत फ्रांसीसी पुरुषों से थोड़ी अधिक ही थी – यह एक ऐतिहासिक मिथक है कि वे कद में बहुत छोटे थे, इसके पीछे वास्तव में ब्रिटिश दुष्प्रचार था।
नेपोलियन के उदय का मार्ग फ्रांसीसी क्रांति (1789-1799) के दौरान प्रशस्त हुआ और 1799 में फ्रांस की सत्ता पर कब्जा कर लिया। 1804 में उन्होंने खुद को फ्रांस का सम्राट घोषित घोषित कर दिया और यूरोप में नेपोलियन युग (Napoleonic Era) का प्रारम्भ हुआ। उसकी उपलब्धियां सिर्फ सैन्य विजयों तक सीमित नहीं थीं; भले ही वह एक तानाशाह था मगर उसने फ्रांस में एक कुशल प्रशासनिक व्यवस्था की स्थापना के लिए, नेपोलियन संहिता (Napoleonic Code) जैसे कानूनी सुधारों से आधुनिक फ्रांस की नींव राखी।
नेपोलियन ने शासक बनने के बाद अपने विजय अभियानों से यूरोप में खलबली मचा दी। नेपोलियन की साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षा इतनी प्रबल थी कि उसने अधिकांश यूरोप को अपने अधिकार में ले लिया, लेकिन इसी अति महत्वकांक्षा ने उसके पतन की गाथा लिखी, रूस का अभियान और वाटरलू की लड़ाई ने उसके अंत को निश्चित किया। लेकिन उसकी विरासत फ्रांस की शिक्षा, प्रशासन और कानून में आज भी जीवित है, लेकिन यूरोप में रक्तपात और हिंसा की आग में भी झोंकने वाला नेपोलियन ही था।
| विशेषता | विवरण |
|---|---|
| पूरा नाम | नेपोलियन बोनापार्ट (Napoleon Bonaparte) |
| जन्म तिथि और स्थान | 15 अगस्त 1769, अजैसियो, कोर्सिका द्वीप (फ्रांस) |
| मृत्यु तिथि और स्थान | 5 मई 1821, सेंट हेलेना द्वीप (ब्रिटिश निर्वासन) |
| पिता | कार्लो बोनापार्ट (Carlo Bonaparte) |
| माता | लेटिजिया रामोलिनो (Letizia Ramolino) |
| पद | फ्रांस के प्रथम कांसुल (1799-1804), सम्राट (1804-1814 और 1815) |
| प्रमुख उपलब्धियां | नेपोलियन संहिता, यूरोपीय विजय अभियान, फ्रांस में शिक्षा और प्रशासनिक सुधार |
| परिवार | 8 भाई-बहन, दो पत्नियां (जोसेफिन और मैरी लुईस), एक वैध पुत्र (नेपोलियन II) |
| प्रसिद्धि का कारण | सैन्य रणनीति, फ्रांसीसी क्रांति का प्रभाव, यूरोप पर साम्राज्य विस्तार |
| रोचक तथ्य | बिल्लियों से डरते थे, एक रोमांटिक उपन्यास लिखा |
Napoleon Bonaparte Early Life: नेपोलियन का इतिहास और प्रारंभिक जीवन
नेपोलियन का इतिहास और उदय फ्रांसीसी क्रांति 1789 के साथ गहराई से जुड़ा है। 18वीं शताब्दी के अंत में फ्रांस की जनता राजशाही को खत्म करना चाहती थी। 1774 में फ्रांस की गद्दी पर बैठे लुई XVI के शासन में करों की भारी बोझ और गरीबी और पाव-रोटी की कमी ने जनता को विद्रोह के मजबूर किया, परिणामस्वरूप 14 जुलाई 1789 में बैस्टिल किले पर हमले से क्रांति शुरू हुई।
नेपोलियन का जन्म इस अशांति के काल से कुछ पहले ही हुआ था। कोर्सिका द्वीप, में जन्में नेपोलियन, जबकि यह हिस्सा मूल रूप से जेनोआ गणराज्य का भाग था, लेकिन 1768 में फ्रांस ने इसे खरीद लिया। नेपोलियन के पिता कार्लो बोनापार्ट (Carlo Bonaparte) एक वकील और कोर्सिकन आज़ादी के राष्ट्रवादी क्रन्तिकारी थे, जो द्वीप की स्वतंत्रता के लिए पाओली के नेतृत्व में लड़े थे, लेकिन पराजय के बाद फ्रांस से समझौता कर लिया।
समझौते के बाद नेपोलियन के परिवार ने फ्रांसीसी कुलीनता प्राप्त की, जिससे नेपोलियन को फ्रांस में शिक्षा मिलने का रास्ता साफ़ हो गया। नेपोलियन की मां लेटिजिया रामोलिनो (Letizia Ramolino) एक कठोर अनुशासन पसंद महिला थी, जिन्होंने परिवार को संगठित रखा। वे इतालवी मूल की थीं और उन्होंने ही नेपोलियन को बचपन में इतालवी भाषा सिखाई।
गरीबी में गुजरा जीवन
वास्तव में नेपोलियन का बचपन गरीबी और संघर्ष में गुजरा था। उसका परिवार एक बड़ा परिवार था जिसमें 13 बच्चे थे, लेकिन गरीबी के कारण केवल 8 जीवित रहे: जोसेफ (बड़ा भाई, बाद में स्पेन का राजा), नेपोलियन, लुसियन (राजनीतिज्ञ), एलिसा (बहन, टस्कनी की ग्रैंड डचेस), लुई (हॉलैंड का राजा), पॉलीन (बहन, नेपोलियन की प्रिय), कैरोलिन (बहन, नेपल्स की रानी) और जेरोम (वेस्टफेलिया का राजा)।
| नाम | संबंध | जन्म क्रम | बाद की भूमिका/उपलब्धियां |
|---|---|---|---|
| जोसेफ (Joseph) | बड़ा भाई | पहला | स्पेन का राजा (1808-1813) |
| नेपोलियन (Napoleon) | स्वयं | दूसरा | फ्रांस का सम्राट (1804-1814, 1815) |
| लुसियन (Lucien) | भाई | तीसरा | राजनीतिज्ञ, फ्रांसीसी क्रांति में सक्रिय |
| एलिसा (Elisa) | बहन | चौथा | टस्कनी की ग्रैंड डचेस |
| लुई (Louis) | भाई | पांचवां | हॉलैंड का राजा (1806-1810) |
| पॉलीन (Pauline) | बहन, नेपोलियन की प्रिय | छठा | बोर्गेस परिवार से विवाह, नेपोलियन की प्रिय बहन |
| कैरोलिन (Caroline) | बहन | सातवां | नेपल्स की रानी (मurat से विवाह) |
| जेरोम (Jerome) | भाई | आठवां | वेस्टफेलिया का राजा (1807-1813) |
- रोचक तथ्य: 13 बच्चों में से 5 की मृत्यु बचपन में ही हो गई, जो उस समय की कठिन परिस्थितियों और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी को दर्शाता है।
नेपोलियन को 9 वर्ष की उम्र में फ्रांस भेजा गयाऔर ब्रिएन-ले-शातो के मिलिट्री स्कूल में प्रवेश लिया। स्कूल के दौरान वह एकांतप्रिय छात्र था, एक पढ़ाकू और गणित में होनहार थे, लेकिन साथी छात्र उन्हें कोर्सिकन उच्चारण और विदेशी होने के साथ गरीब होने के कारण चिढ़ाते थे। नेपोलियन ने प्लूटार्क और सीजर की जीवनी पढ़कर योद्धाओं से प्रेरणा ली। 1784 में वे पेरिस के इकोले मिलिटेयर में गए और 1785 में तोपखाने के लेफ्टिनेंट बने, जब वह मात्र 16 वर्ष का था।
| स्कूल | मिलिट्री स्कूल, ब्रिएन-ले-शातो |
| तोपखाने के लेफ्टिनेंट | 1785 16 वर्ष की आयु में |
फ्रांसीसी क्रांति के समय नेपोलियन कोर्सिका बापस लौटे और स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लिया, लेकिन परिवारिक झगड़ों से तंग आकर फ्रांस लौट आये। 1793 में टूलॉन की घेराबंदी में उनकी कुशल सैन्य रणनीति – पहाड़ियों पर तोपें लगाकर ब्रिटिश सैन्य बेड़े पर हमला – ने फ्रांस को एक अप्रत्यासित विजय दिलाई। जसिके कारण 24 वर्ष की उम्र में पदोन्नति कर ब्रिगेडियर जनरल बने।
The Rise of Napoleon: नेपोलियन का उदय
नेपोलियन का उदय फ्रांसीसी क्रांति से उपजी अराजकता और डायरेक्टरी सरकार की असफलता से हुआ। भले ही क्रांति ने राजशाही को फ्रांस की सत्ता से उखाड़ फेंका, लेकिन जैकोबिन्स के आतंक के राज 1794 (Reign of Terror) ने हजारों विरोधियों को गिलोटिन पर चढ़ाया।
1795 में थर्मिडोरियन प्रतिक्रिया से डायरेक्टरी सत्ता में आई, लेकिन भ्रष्टाचार, मुद्रास्फीति और निरंतर युद्धों से जनता त्रस्त थी। इसी समय नेपोलियन ने जैकोबिन क्लब से जुड़कर क्रांतिकारी विचार ग्रहण किये। 1795 में पेरिस में रॉयलिस्ट विद्रोह को दबाने के लिए उन्होंने “ग्रेपशॉट की फुहार” (a whiff of grapeshot) से विद्रोहियों पर तोपें चलाईं, जिससे 300 लोग मारे गए और नेपोलियन राष्ट्रीय नायक के रूप में उभरा।
1796 में नेपोलियन को इटली अभियान का कमांडर बनाया गया। भले ही फ्रांस की सेना भूखी और असंगठित थी, लेकिन नेपोलियन ने प्रेरणादायक भाषण दिए: “सैनिको, तुम नंगे हो, भूखे हो… मैं तुम्हें इटली की उपजाऊ भूमि पर ले जाऊंगा।” उसने ऑस्ट्रिया को कई युद्धों में हराया, जैसे लोदी की पुल (Bridge of Lodi) जहां वे तोप के खुद गोले के बीच दौड़े। इटली से लूट का सामान फ्रांस भेजकर फ्रांस की जनता में लोकप्रियता बढ़ाई। 1798 में मिस्र अभियान में पिरामिड की लड़ाई जीती, लेकिन नील की लड़ाई में नेल्सन ने फ्रांसीसी बेड़ा नष्ट कर दिया। ऐसे में नेपोलियन चुपके से फ्रांस बापस लौट आया।
नेपोलियन के उदय की चरम परिस्थिति 1799 की ब्रुमेयर क्रांति (Coup of 18 Brumaire) थी। डायरेक्टरी सरकार की कमजोरी का फायदा उठाने के लिए नेपोलियन ने भाई लुसियन और अब्बे सिएस के साथ साजिश रची।
9 नवंबर को उन्होंने विधानसभा को घेरा, सैनिकों से कहा “क्रांति खतरे में है”, और डायरेक्टरी को भंग कर दिया। अगले दिन वे प्रथम कांसुल बने। इस तरह सैन्य बल, राजनीतिक चालबाजी और जन समर्थन से नेपोलियन ने फ्रांस की सत्ता हथिया ली।
नेपोलियन फ्रांस का शासक कब और कैसे बना
नेपोलियन 1799 में प्रथम कांसुल बने, लेकिन पूर्ण सत्ता के लिए उन्होंने 1802 में आजीवन कांसुल का पद ग्रहण किया। 1804 में सीनेट ने उन्हें सम्राट बनाने का प्रस्ताव पारित किया। जनमत संग्रह में 99% समर्थन मिला, हालांकि इसमें धांधली थी। 2 दिसंबर 1804 को नोट्रे डेम कैथेड्रल में पोप पियस VII उपस्थित थे, लेकिन नेपोलियन ने खुद को ताज पहनाया, और यह सीधे चर्च की सर्वोच्चता को चुनौती थी। इसके बाद नेपोलियन ने मारेन्गो की लड़ाई (1800) जीतकर अपनी वैधता को सिद्ध किया, जहां उसने ऑस्ट्रिया को हराया। इस तरह वे फ्रांस के सम्राट बने, और फ्रांस में एक बार फिर निरंकुश साम्राज्य की शुरुआत हुई।

| प्रथम कांसुल | 1799 |
| आजीवन कांसुल का पद | 1802 |
| फ्रांस का सम्राट | 2 दिसंबर 1804 |
नेपोलियन संहिता क्या थी?
फ्रांस का शासक बनने के बाद नेपोलियन संहिता (Code Napoléon) 1804 में लागू हुई, जो क्रांति के सिद्धांतों – समानता, स्वतंत्रता, भ्रातृत्व – पर आधारित थी। पहले फ्रांस में सैकड़ों स्थानीय कानून थे, लेकिन नेपोलियन संहिता ने एक जैसे कानून लागू किये। इसमें संपत्ति अधिकार, अनुबंध, विवाह और उत्तराधिकार के नियम थे।
इस संहिता ने पुरुषों को परिवार प्रमुख बनाया गया, लेकिन फ्रांस से दासता समाप्त कर दी गई। महिलाओं के अधिकार सीमित थे, लेकिन तलाक आसान हुआ। इस संहिता ने यूरोप, लैटिन अमेरिका और एशिया के कानूनों को प्रभावित किया। नेपोलियन ने कहा, “मेरा असली गौरव मेरे युद्ध नहीं, बल्कि संहिता है।” यह उसकी दूरदृष्टि को दर्शाता है।
नेपोलियन के सुधार
नेपोलियन ने फ्रांस को आधुनिक राष्ट्र के रूप में संवारा। शिक्षा सुधार में लाइसी (Lycées) स्कूल स्थापित किए, जहां लड़कों को विज्ञान, गणित और सैन्य प्रशिक्षण दिया जाता था। विश्वविद्यालयों को केंद्रीकृत किया। आर्थिक सुधारों में बैंक ऑफ फ्रांस (1800) स्थापित किया, जिससे मुद्रा में स्थिरता आई। लुइसियाना बिक्री (1803) से अमेरिका से 15 मिलियन डॉलर मिले, जिससे फ्रांस का खजाना भरा।
धार्मिक सुधारों में कोंकॉर्डेट (1801) से कैथोलिक चर्च को राज्य नियंत्रण में लाया, लेकिन धार्मिक स्वतंत्रता दी। प्रशासनिक सुधारों में प्रीफेक्ट सिस्टम शुरू किया, जहां केंद्र से नियुक्त अधिकारी प्रांतों पर नजर रखते थे। नेपोलियन के इन सुधारों ने क्रांति के उपरांत अस्थिर फ्रांस को स्थिरता प्रदान की।
Napoleon’s conquests: नेपोलियन के विजय अभियान
नेपोलियन के विजय अभियान (Napoleonic Wars) 1803 से 1815 तक चले, जिसमें फ्रांस ने यूरोप पर सैन्य प्रभुत्व जमाया। तीसरे गठबंधन के खिलाफ ऑस्टरलिट्ज (1805) में “तीन सम्राटों की लड़ाई” जीती, जहां कुशल सैन्य रणनीति से ऑस्ट्रिया और रूस को पराजित किया। जेना (1806) में प्रशिया को कुचला। कॉन्टिनेंटल सिस्टम से ब्रिटेन का बहिष्कार किया, लेकिन असफल रहा। स्पेन अभियान (1808) में गुरिल्ला युद्ध ने फ्रांस को कमजोर किया।
| युद्ध का नाम | वर्ष | विरोधी देश | परिणाम और प्रभाव |
|---|---|---|---|
| इटली अभियान | 1796-1797 | ऑस्ट्रिया | फ्रांस की विजय, इटली पर कब्जा, नेपोलियन की प्रसिद्धि |
| मिस्र अभियान | 1798-1801 | ओटोमन और ब्रिटेन | नील में हार, लेकिन वैज्ञानिक खोजें (रोसेटा स्टोन) |
| मारेन्गो की लड़ाई | 1800 | ऑस्ट्रिया | फ्रांस विजय, दूसरा गठबंधन समाप्त |
| ऑस्टरलिट्ज की लड़ाई | 1805 | ऑस्ट्रिया और रूस | निर्णायक विजय, पवित्र रोमन साम्राज्य का अंत |
| जेना-ऑउर्स्टेड्ट | 1806 | प्रशिया | प्रशिया पर कब्जा, बर्लिन में प्रवेश |
| फ्राइडलैंड | 1807 | रूस | टिलसिट संधि, रूस से गठबंधन |
| वाग्राम | 1809 | ऑस्ट्रिया | विजय, ऑस्ट्रिया से विवाह गठबंधन |
| रूस अभियान | 1812 | रूस | भारी हार, 500,000 मारे गए |
| लीपजिग (राष्ट्रों की लड़ाई) | 1813 | गठबंधन (ऑस्ट्रिया, रूस, प्रशिया) | हार, फ्रांस से बाहर निकाला |
| वाटरलू | 1815 | ब्रिटेन और प्रशिया | अंतिम हार, निर्वासन |
नेपोलियन और भारत
हालाँकि नेपोलियन का भारत से प्रत्यक्ष संबंध नहीं था, लेकिन ब्रिटिश उपनिवेश होने के कारण भारत तक नेपोलियन की महत्वाकांक्षाएं जागी थीं। 1798 के मिस्र अभियान का उद्देश्य स्वेज नहर के माध्यम से ब्रिटिश भारत के व्यापार को बाधित करना था।
मैसूर के शासक टीपू सुल्तान ने अंग्रेजों के विरुद्ध नेपोलियन से सहायता मांगी और पत्र लिखा: “हम दोनों ब्रिटेन के दुश्मन हैं।” नेपोलियन ने जवाब दिया, लेकिन नील की हार से योजना विफल हुई।
नेपोलियन ने 1801 में रूस के साथ भारत आक्रमण की साजिश रची, लेकिन टीपू की मृत्यु (1799 की श्रीरंगपट्टनम लड़ाई) और नेपोलियन की व्यस्तता से यह सिर्फ सपना ही रह गया। नेपोलियन भारत कभी नहीं आए, लेकिन उनकी योजनाएं ब्रिटिश साम्राज्यवाद को चुनौती देती रहीं।
नेपोलियन की पत्नी और संतान
नेपोलियन ने दो शादियां की जिनमें पहली पत्नी जोसेफिन डी बोहार्नेस थीं, जो एक विधवा थी, जिनसे 1796 में विवाह हुआ। जोसेफिन आयु में नेपोलियन से बड़ी थीं और उनके दो बच्चे थे – यूजीन और हॉर्टेंस। नेपोलियन जोसेफिन से प्रेम करते थे, लेकिन संतान न होने से 1809 में तलाक हुआ। इसके बाद दूसरी शादी मैरी लुईस से की, जो ऑस्ट्रिया की आर्कडचेस से थी, से 1810 में विवाह हुआ, जो राजनीतिक गठबंधन था।
दूसरी शादी से उनका पुत्र नेपोलियन II (किंग ऑफ रोम) 1811 में जन्मा, लेकिन 1832 में तपेदिक से मरा। नेपोलियन के कुछ अवैध संतानें भी थीं: चार्ल्स लियोन (एक अभिनेत्री से) और अलेक्जेंडर वालेरवस्की (पोलिश मालकिन से)। एक अज्ञात तथ्य: नेपोलियन ने 1803 में फ्रांसीसी अभिनेत्री मादेमोसेल डुशेनोइस के साथ कुछ समय के लिए संबंध रखा।

| पहली पत्नी | जोसेफिन डी बोहार्नेस ( एक विधवा जिसके पहले पति से दो संतान थी- यूजीन और हॉर्टेंस) |
| दूसरी पत्नी | मैरी लुईस |
| संतान | नेपोलियन II (किंग ऑफ रोम) 1811 में जन्मा, लेकिन 1832 में तपेदिक से मृत्यु |
| अवैध संताने | चार्ल्स लियोन (एक अभिनेत्री से) और अलेक्जेंडर वालेरवस्की (पोलिश मालकिन से) |
नेपोलियन बोनापार्ट की किताबें
नेपोलियन न सिर्फ एक जिज्ञासु पाठक था बल्कि एक कुशल लेखक भी था। अपनी युवावस्था में उसने “क्लिसन एट यूजेनी” (Clisson et Eugénie) नामक रोमांटिक उपन्यास लिखा, जो उसकी युवास्था की प्रेम कहानी पर आधारित था। अन्य रचनाएं: “द मिलिट्री मैक्सिम्स ऑफ नेपोलियन” (सैन्य सिद्धांत), “कोर्सिका का इतिहास” और निर्वासन में “मेमोयर्स”। जोसेफिन को लिखे पत्र भी प्रकाशित हुए। ये किताबें उनकी बौद्धिक गहराई दिखाती हैं।
| किताब का नाम | प्रकाशन वर्ष (लगभग) | विवरण |
|---|---|---|
| क्लिसन एट यूजेनी (Clisson et Eugénie) | 1795 (लिखा गया, 2009 में प्रकाशित) | नेपोलियन का रोमांटिक उपन्यास, उनकी युवावस्था की प्रेम कहानी पर आधारित। |
| द मिलिट्री मैक्सिम्स ऑफ नेपोलियन | 1831 (मरणोपरांत) | सैन्य रणनीति और दर्शन पर आधारित सिद्धांत। |
| कोर्सिका का इतिहास (History of Corsica) | 1789-1790 (लिखा गया, अप्रकाशित) | कोर्सिका के इतिहास पर निबंध, जो उनके शुरुआती लेखन कार्यों में से एक है। |
| मेमोयर्स (Memoirs) | 1823-1830 (मरणोपरांत) | निर्वासन के दौरान लिखे गए संस्मरण, उनकी जीवनी और विचारों का संकलन। |
| जोसेफिन को लिखे पत्र (Letters to Josephine) | 1796-1814 (लिखे गए, 1931 में संकलित) | नेपोलियन के अपनी पत्नी जोसेफिन को लिखे गए पत्र, बाद में प्रकाशित। |
नेपोलियन की पराजय
नेपोलियन की पराजय 1812 के रूस अभियान के साथ प्रारम्भ हुई। रूस ने कॉन्टिनेंटल सिस्टम (महाद्वीपीय व्यवस्था) तोड़ा, तो नेपोलियन ने 600,000 सैनिकों के साथ रूस पर आक्रमण किया। छुपी रणनीति के तहत रूसी सेना पीछे हटती गई, “जलाऊ भूमि नीति” से मॉस्को जला दिया। जब ठंड में फ्रांसीसी सैनिकों ने वापसी की तो 500,000 सैनिक मारे गए।
1813 में लीपजिग में गठबंधन (यह गठबंधन रूस, प्रशिया, ऑस्ट्रिया, स्वीडन और कुछ छोटे जर्मन राज्यों (जैसे बवेरिया, जो बाद में गठबंधन में शामिल हुआ) से बना था।) ने हराया। 1814 में पेरिस में पराजय हुई, नेपोलियन को एल्बा द्वीप निर्वासित किया गया। 1815 में “सौ दिनों” की वापसी में वाटरलू में वेलिंगटन और ब्लूशर ने हराया – तेज बारिश के कारण नेपोलियन की रणनीति असफल हो गई।
| पराजय का वर्ष | युद्ध का नाम | विरोधी देश/गठबंधन |
|---|---|---|
| 1805 | ट्राफलगर की नौसैनिक लड़ाई | ब्रिटेन (एडमिरल नेल्सन) |
| 1812 | रूस अभियान | रूस (कुतुज़ोव) |
| 1813 | लीपजिग की लड़ाई (वॉयल्करश्लाच्ट) | छठा गठबंधन (रूस, प्रशिया, ऑस्ट्रिया, स्वीडन) |
| 1815 | वाटरलू की लड़ाई | सातवां गठबंधन (ब्रिटेन, प्रशिया, नीदरलैंड) |
नेपोलियन की मृत्यु और कारण
वॉटरलू के युद्ध में पराजय के बाद नेपोलियन को सेंट हेलेना द्वीप पर निर्वासित कर दिया गया था। जहाँ निर्वासित जीवन जीते हुए 5 मई 1821 को उसकी मृत्यु हुई, उस समय उसकी आयु 51 वर्ष की थी। हलाकि उसकी मृत्यु काआधिकारिक कारण पेट का कैंसर बताया गया था, जो वंशानुगत था। लेकिन अनैतिहासिक विवरण यह भी बताते हैं कि उसे खाने में आर्सेनिक जहर दिया जाता था, लेकिन ऑटोप्सी से कैंसर की पुष्टि हुई थी। निर्वासन नेपोलियन बहुत उदास रहता था, लेकिन उसने इस समय कुछ मेमोयर्स ( संस्मरण ) लिखे। उसकी मृत्यु ने यूरोप को एक शताब्दी तक की शांति प्रदान की।
नेपोलियन से जुड़े रोचक और अज्ञात तथ्य
- कार्ड्स में धोखा: नेपोलियन अत्यधिक प्रतिस्पर्धी था और उसे हारना पसंद नहीं था, और कार्ड खेलते समय धोखा देते थे, ताकि जीतें।
- कम नींद: वे रात में केवल 4-5 घंटे सोते थे और रात में कई बार उठकर काम करते थे।
- उपन्यासकार: युवा नेपोलियन ने एक रोमांटिक उपन्यास लिखा, जो 2007 में प्रकाशित हुआ।
- बिल्लियों से डर: उन्हें बिल्लियों से फोबिया था, जो उनके जीवन में एक विचित्र पक्ष था।
- पिकनिक प्रेमी: निर्वासन में भी वे पिकनिक जाते थे, जैसे 4 अक्टूबर 1820 को।
नेपोलियन के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न-FAQ
नेपोलियन बोनापार्ट का जन्म कहां हुआ था?
अजैसियो, कोर्सिका द्वीप।
नेपोलियन बोनापार्ट कहां का था?
कोर्सिका द्वीप का, जो फ्रांस का हिस्सा है।
नेपोलियन क्यों प्रसिद्ध है?
सैन्य विजयों, सुधारों और नेपोलियन संहिता के लिए।
नेपोलियन को कितने देशों ने मिलकर हराया था?
वाटरलू में 7 देशों के गठबंधन ने (ब्रिटेन, प्रशिया, आदि)।
फ्रांसीसी क्रांति में नेपोलियन की क्या भूमिका थी?
सैन्य सहायता दी और क्रांति समाप्त कर सत्ता हासिल की।
नेपोलियन बोनापार्ट भारत कब आया था?
कभी नहीं आए, केवल योजना बनाई।
यह भी पढ़िए–






