पंडित मदन मोहन मालवीय (Madan Mohan Malviya), जिन्हें महामना के नाम से जाना जाता है, भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद्, पत्रकार और समाज सुधारक थे। मालवीय जी का जन्म 25 दिसंबर 1861 को प्रयागराज (तत्कालीन इलाहाबाद) में हुआ था। वे काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के संस्थापक थे और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के चार बार अध्यक्ष रहे। मदन मोहन मालवीय मृत्यु 12 नवंबर 1946 को हुई। आज मालवीय जी की पुण्य तिथि है।
2014 में उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया। लेख में हम मदन मोहन मालवीय की पूरी जानकारी हिंदी में जानेंगे – बचपन, शिक्षा, स्वतंत्रता संग्राम, योगदान, विवाह, परिवार और रोचक तथ्य। अगर आप महामना मदन मोहन मालवीय जी के बारे में जानना चाहते हैं, तो अंत तक पढ़ें!

Madan Mohan Malviya: एक नजर में (Quick Profile)
| पैरामीटर | जानकारी |
|---|---|
| पूरा नाम | पंडित मदन मोहन मालवीय (महामना) |
| जन्म तिथि | 25 दिसंबर 1861 |
| जन्मस्थान | प्रयागराज (इलाहाबाद), उत्तर प्रदेश |
| मृत्यु | 12 नवंबर 1946 (85 वर्ष की आयु में) |
| पिता | पंडित बैजनाथ (वैद्यक) |
| माता | श्रीमती मीना देवी |
| शिक्षा | बीए (कलकत्ता विश्वविद्यालय, 1884) |
| प्रमुख योगदान | BHU के संस्थापक, कांग्रेस अध्यक्ष (4 बार) |
| सम्मान | भारत रत्न (2014), महामना उपाधि |
| वैवाहिक स्थिति | विवाहित (कुमारी पद्मा देवी से) |
मदन मोहन मालवीय का प्रारंभिक जीवन और बचपन (Early Life)
मदन मोहन मालवीय का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ, जहां संस्कृत और धार्मिक शिक्षा का महत्व था। उनके पूर्वज मालवा क्षेत्र के संस्कृत विद्वान थे, इसलिए ‘मालवीय’ उपनाम पड़ा। पिता बैजनाथ एक प्रसिद्ध वैद्य (आयुर्वेद चिकित्सक) थे, जो गंगा स्नान के बाद ही भोजन करते थे। माता मीना देवी धार्मिक प्रवृत्ति की थीं। मालवीय जी सात भाई-बहनों में पांचवें थे।
बचपन से ही वे धार्मिक और देशभक्त थे। 5 वर्ष की उम्र में संस्कृत शिक्षा शुरू हुई। वे गंगा के किनारे बैठकर भागवत और महाभारत पढ़ते। मदन मोहन मालवीय बचपन की कहानी संघर्षपूर्ण थी – परिवार की आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने शिक्षा पर जोर दिया। वे कहते थे, “शिक्षा ही राष्ट्र की रीढ़ है।“
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मदन मोहन मालवीय की शिक्षा (Education Journey)
| डिग्री/चरण | संस्थान | वर्ष | विशेष |
|---|---|---|---|
| प्राथमिक शिक्षा | महाजनी स्कूल, प्रयागराज | 1866 | संस्कृत और हिंदी पर फोकस |
| मिडिल/हाई स्कूल | म्योर सेंट्रल कॉलेज | 1870-80 | उत्कृष्ट प्रदर्शन |
| बीए | कलकत्ता विश्वविद्यालय | 1884 | प्रथम श्रेणी में पास |
मालवीय जी ने कानून की पढ़ाई छोड़ दी और शिक्षण व पत्रकारिता की ओर मुड़े। वे हिंदी को अदालतों में स्थापित करने के लिए लड़े। मदन मोहन मालवीय शिक्षा ने उन्हें एक विद्वान बनाया, जो बाद में BHU जैसे संस्थान की नींव रख सके।
मदन मोहन मालवीय का करियर: वकील से स्वतंत्रता सेनानी (Career & Freedom Struggle)
मदन मोहन मालवीय वकील के रूप में इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की (1886)। वे गरीबों के लिए मुफ्त कानूनी मदद करते। 1890 में उन्होंने अभ्युदय हिंदी साप्ताहिक अखबार शुरू किया, जो स्वतंत्रता आंदोलन का हथियार बना।
स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
| वर्ष | घटना | भूमिका |
|---|---|---|
| 1909 | कांग्रेस लखनऊ अधिवेशन | अध्यक्ष, स्वराज प्रस्ताव |
| 1916 | BHU स्थापना | संस्थापक, 1911 में प्रस्ताव |
| 1919 | जलियांवाला बाग हत्याकांड | विरोध, रौलट एक्ट के खिलाफ |
| 1920 | असहयोग आंदोलन | गांधीजी के साथ सहयोग |
| 1930 | नमक सत्याग्रह | समर्थन, गिरफ्तारी से बचे |
| 1932 | गोलमेज सम्मेलन | लंदन प्रतिनिधि |
वे कांग्रेस के चार बार अध्यक्ष (1909, 1918, 1932, 1933) रहे। हिंदू-मुस्लिम एकता के पैरोकार थे। मदन मोहन मालवीय स्वतंत्रता संग्राम में ‘सत्यमेव जयते’ को लोकप्रिय बनाया, जो आज राष्ट्रीय ध्वनि-वाक्य है।

मदन मोहन मालवीय का परिवार और वैवाहिक जीवन (Family & Marriage)
| सदस्य | संबंध | विशेष |
|---|---|---|
| बैजनाथ | पिता | वैद्य, धार्मिक |
| मीना देवी | माता | गृहिणी, धार्मिक |
| पद्मा देवी | पत्नी | विवाह 1878 में, सहयोगी |
| रमाकांत | पुत्र | वकील, BHU से जुड़े |
मदन मोहन मालवीय विवाह 17 वर्ष की उम्र में कुमारी पद्मा देवी से हुआ। वे ब्रह्मचर्य का पालन करते थे, लेकिन परिवार के प्रति समर्पित थे। उनके चार पुत्र थे। परिवार ने स्वतंत्रता आंदोलन में साथ दिया।

मदन मोहन मालवीय के प्रमुख योगदान (Key Contributions)

- शिक्षा: काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) की स्थापना (1916)। 1300 एकड़ भूमि पर विश्वविद्यालय बनवाया, जिसमें 5 करोड़ रुपये एकत्र किए। निजाम हैदराबाद से अपमानित होने पर अपना जूता नीलाम कर धन जुटाया!
- पत्रकारिता: ‘अभ्युदय’ (1907) और ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ (1920) के संस्थापक। हिंदी पत्रकारिता को मजबूत किया।
- समाज सुधार: जातिवाद, छुआछूत के खिलाफ। हिंदू महासभा के संस्थापक (1915)।
- भाषा: अदालतों में हिंदी को मान्यता दिलाई। 1910 में प्रथम हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष।
मदन मोहन मालवीय योगदान आज भी प्रासंगिक हैं – शिक्षा और एकता पर जोर।
मदन मोहन मालवीय की शारीरिक बनावट और व्यक्तित्व (Physical Appearance)
मालवीय जी लंबे कद-काठी के थे – ऊंचाई करीब 5 फीट 10 इंच, सादा सफेद धोती-कुर्ता पहनते। उनकी वाणी मधुर और आंखों में तेज था। वे व्यायाम, योग और गंगा स्नान के अभ्यासी थे। मदन मोहन मालवीय व्यक्तित्व – सत्यवादी, ब्रह्मचारी, देशभक्त।
मदन मोहन मालवीय नेट वर्थ और संपत्ति (Net Worth – Historical Context)
मालवीय जी सादगी के प्रतीक थे। उनकी संपत्ति मुख्य रूप से पुस्तकें और दान थे। वकालत से कमाई का अधिकांश हिस्सा शिक्षा और स्वतंत्रता पर खर्च किया। कोई सटीक नेट वर्थ नहीं, लेकिन अनुमानित रूप से मध्यम वर्गीय। वे कहते, “धन का उपयोग सेवा में करें।”
रोचक तथ्य: मदन मोहन मालवीय के बारे में अनोखी बातें (Interesting Facts)
- महामना उपाधि: महात्मा गांधी ने दी।
- जूता नीलामी: BHU के लिए निजाम का जूता बेचा – 1 लाख रुपये जुटाए।
- सत्यमेव जयते: मुद्राराक्षस से लिया, राष्ट्रीय वाक्य बनाया।
- गांधी से मतभेद: गोलमेज सम्मेलन पर असहमति, लेकिन सम्मान बरकरार।
- पत्रकारिता: हिंदी को अदालतों में पहली बार बोला।
- उपनाम: ‘भारत निर्माता’ (गांधीजी) और ‘आधुनिक राष्ट्रीयता के जनक’ (नेहरू)।
विवाद और चुनौतियां (Controversies)
मालवीय जी का जीवन विवादों से मुक्त था, लेकिन:
- हिंदू महासभा: कुछ ने उन्हें सांप्रदायिक कहा, लेकिन वे एकता के पक्षधर थे।
- गांधी से मतभेद: गोलमेज पर भागीदारी पर असहमति।
- BHU विवाद: एनी बेसेंट के साथ सहयोग पर सवाल।
FAQs: मदन मोहन मालवीय से जुड़े सवाल
पंडित मदन मोहन मालवीय – प्रश्नोत्तर (FAQs)
निष्कर्ष: महामना की अमर विरासत
पंडित मदन मोहन मालवीय ने कहा, “सत्य ही ईश्वर है।” उनकी जिंदगी शिक्षा, सेवा और स्वतंत्रता की मिसाल है। आज BHU जैसे संस्थान उनकी देन हैं। मदन मोहन मालवीय जीवनी पढ़कर प्रेरणा लें – राष्ट्र निर्माण में योगदान दें।शेयर करें: अगर पसंद आया, तो कमेंट में बताएं!







