Lord William Bentinck History: लॉर्ड विलियम बेंटिंक, ब्रिटिश भारत के इतिहास जुड़ा एक ऐसा नाम है जिसे भारत में सामाजिक सुधारों का अगुआ कहा जाता है। भारत में ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत में भेजा गया और उसने न सिर्फ भारत में कम्पनी शासन को मजबूती दी, बल्कि भारत में प्रचलित अनेक कुप्रथाओं को जड़ से उखड फेंका। इस लेख में हम लॉर्ड विलियम बेंटिंक के जीवन से लेकर उनके भारत में सामाजिक सुधार और प्रशासनिक सुधार तक, के विषय में आपको जानकारी दी जाएगी। चलिए इस लेख को शुरू करते हैं और जानते हैं भारत में सामाजिक सुधारों के अगुआ के विषय में।

William Bentinck Introduction: लॉर्ड विलियम बेंटिंक का परिचय
लॉर्ड विलियम हेनरी कैवेंडिश-बेंटिंक का जन्म 14 सितंबर 1774 को इंग्लैंड के बकिंघमशायर में हुआ था। उनके पिता, पोर्टलैंड के तीसरे ड्यूक, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री थे, तो जाहिर है, बेंटिंक का बचपन कुलीन परिवार और प्रसिद्धि के बीच बीता। लेकिन क्या आप जानते हैं? 16 साल की उम्र में ही वे ब्रिटिश सेना में भर्ती हो गए और 24 साल की उम्र तक कर्नल बन चुके थे! यह उनकी प्रतिभा को दर्शाता है।
1803 में उन्हें भारत में मद्रास (अब चेन्नई) का गवर्नर बनाया गया, लेकिन 1806 का वेल्लोर विद्रोह उनके लिए मुसीबत बन गया, और उन्हें इंग्लैंड वापस बुला लिया गया। लेकिन बेंटिक इतनी आसानी से हार नहीं मानने वाले थे, उन्होंने ब्रिटेन में संसद में 30 साल तक अपनी छाप छोड़ी। फिर 1828 में वे पुनः भारत लौटे, पहले बंगाल के गवर्नर बने, और 1833 में चार्टर एक्ट के तहत भारत के पहले गवर्नर जनरल बने ,उनका निधन 17 जून 1839 को पेरिस में हुआ, लेकिन भारत में उनकी विरासत वास्तव में चिरकाल तक स्थायी है।
| विवरण | जानकारी |
|---|---|
| नाम | लार्ड विलियम बेंटिंक |
| पूरा नाम | विलियम हेनरी कैवेंडिश-बेंटिंक |
| जन्म | 14 सितंबर 1774, बकिंघमशायर, इंग्लैंड |
| पिता | पोर्टलैंड के तीसरे ड्यूक, पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री |
| शिक्षा और शुरुआती जीवन | अमीर परिवार में पले-बढ़े; 16 साल की उम्र में ब्रिटिश सेना में शामिल |
| प्रमुख उपलब्धि | भारत के पहले गवर्नर जनरल (1833-1835); सती प्रथा उन्मूलन (1829) |
| कार्यकाल | 1828-1835 (बंगाल गवर्नर: 1828-1833, गवर्नर जनरल: 1833-1835) |
| मृत्यु | 17 जून 1839, पेरिस, फ्रांस |
| विशेष योगदान | सामाजिक सुधार (सती, ठगी), प्रशासनिक सुधार, अंग्रेजी शिक्षा की शुरुआत |
| रोचक तथ्य | “किफायती गवर्नर” के नाम से मशहूर; युद्धों से बचा, शांति पर जोर दिया |
भारत में लॉर्ड विलियम बेंटिंक का कार्यकाल: शांति और सुधारों का युग
लॉर्ड विलियम बेंटिंक का भारत में कार्यकाल (1828-1835) रहा और यह दौर भारत में “शांति का काल” कहलाता है। उन्होंने युद्धों से कंपनी शासन को दूर रखा और सामाजिक और प्रशासनिक सुधारों पर बल दिया। 1828 में वे बंगाल के गवर्नर बने और 1833 में भारत के पहले गवर्नर जनरल। इस दौरान उन्होंने वित्तीय कठिनाइयों, सामाजिक कुप्रथाओं और प्रशासनिक सुधारों पर ध्यान केंद्रित किया।
बड़ी उपलब्धियां:
| 1834 में कूर्ग राज्य का शांतिपूर्ण विलय। |
| पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह के साथ मित्रता की संधि। |
| म्यांमार के साथ यांडाबू संधि (1826) का असर, जिसने स्थिरता लाई। |
| जब वे भारत आये तब ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का खजाना खाली था, लेकिन बेंटिंक ने किफायती नीतियों से इसे भरा। |
| फिजूलखर्ची पर लगाम लगाई और 15 लाख पाउंड की बचत की! |
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भारत में सामाजिक सुधार: बेंटिंक का क्रांतिकारी कदम
लॉर्ड विलियम बेंटिंक को भारत में सामाजिक सुधार का अगुआ माना जाता है। उन्होंने सती प्रथा, ठगी, और कन्या भ्रूण हत्या जैसी क्रूर और अमानवीय कुप्रथाओं को समाप्त किया। उनके सुधारों ने भारतीय समाज नवजागरण का अंकुरण किया विशेष रूप से हिन्दुओं में।

| सुधार | वर्ष | विवरण |
|---|---|---|
| सती प्रथा का अंत | 1829 | विधवाओं को चिता पर जीवित जलाने की प्रथा बंद। राजा राम मोहन राय के साथ रेगुलेशन XVII लागू। ब्राह्मणों की तमाम धमकियों को दरकिनार किया। |
| ठगी का दमन | 1830-37 | सड़कों पर लूटपाट और हत्या करने वाले ठग गिरोह खत्म। कर्नल विलियम स्लीमैन ने 1500 ठगों को गिरफ्तार किया। |
| कन्या भ्रूण हत्या पर रोक | 1830 | खासकर राजपूतों में बेटियों की हत्या पर सख्त कानून बनाया गया। |
| दास प्रथा पर प्रतिबंध | 1833 | गुलामी और कुली बेगार पर रोक। |
| मानव बलि का अंत | 1830 | कुछ जनजातियों में बलि की प्रथा बंद की। |
प्रशासनिक सुधार: ब्रिटिश शासन को नया रंग
बेंटिंक ने ब्रिटिश प्रशासन को कुशल, किफायती और भारतीयों के लिए समावेशी बनाया। उन्होंने नौकरियों में भारतीयों को अवसर दिया और शिक्षा में क्रांति लाई। यह बेंटिक ही था जिसने पहली बार भारतियों को मजिस्ट्रेट जैसे पदों पर नियुक्त किया।
| सुधार का प्रकार | वर्ष | मुख्य बदलाव |
|---|---|---|
| वित्तीय सुधार | 1828-35 | सेना के खर्चे में कटौती की, राजस्व बोर्ड का गठन, कुल 15 लाख पाउंड की बचत। |
| न्यायिक सुधार | 1831 | फारसी की जगह स्थानीय भाषाएं निचली अदालतों में कार्यवाही में प्रयोग; सिर्फ अंग्रेजी ऊपरी अदालतों में रही। |
| शैक्षणिक सुधार | 1835 | लार्ड मैकॉले के द्वारा अंग्रेजी शिक्षा को लागू किया; कोलकाता मेडिकल कॉलेज शुरू। |
| सैन्य सुधार | 1830 | सेना में अनुशासन और खर्च कटौती; अनावश्यक खर्चे पर रोक लगाई। |
| व्यापार सुधार | 1833 | चुंगी शुल्क हटाया; चाय-कॉफी की खेती को प्रोत्साहन। |
लॉर्ड विलियम बेंटिंक के अनसुने और रोचक तथ्य
- भारत के प्रथम गवर्नर जनरल: 1833 के चार्टर एक्ट द्वारा उन्हें भारत का प्रथम गवर्नर जनरल बनाया, इससे पहले सिर्फ बंगाल का गवर्नर होता था।
- सती प्रथा का अंत: सती प्रथा को प्रतिबंधित करने पर उन्हें जान से मारने की धमकियां मिलीं, लेकिन वे डरे नहीं।
- अंग्रेजी शिक्षा के जनक: मैकॉले के साथ मिलकर उन्होंने भारत में अंग्रेजी शिक्षा की नींव रखी, जिसने आधुनिक भारत की नींव राखी और नवजागरण में मुख्य भूमिका निभाई।
- शांतिप्रिय शासक: भारत में बेंटिक का काल शांति का काल रहा और कोई बड़ा युद्ध नहीं हुआ, सिर्फ कुर्ग का शांतिपूर्ण का विलय हुआ।
- पेरिस में मृत्यु: भारत से बापस लौटने के बाद वे बीमार पड़े और पेरिस में उनकी मृत्यु हुई। उनकी कब्र आज भी वहां है।
- ठगों का अंत: बेंटिंक ने ठगों को पकड़ने के लिए जासूसों का नेटवर्क बनाया, जो उस समय की सबसे बड़ी डकैती रोकथाम थी!
- “कंजूस गवर्नर”: बेंटिंक को “कंजूस गवर्नर” भी कहा जाता था, क्योंकि वे हर छोटे-बड़े खर्च पर नजर रखते थे, लेकिन यह कंजूसी भारत के लिए फायदेमंद रही!
निष्कर्ष
लॉर्ड विलियम बेंटिंक सिर्फ एक शासक नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी सुधारक थे। सती प्रथा का अंत, ठगी का दमन, और अंग्रेजी शिक्षा की शुरुआत जैसे उनके काम आज भी भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण हैं।
FAQs: लॉर्ड विलियम बेंटिंक से जुड़े सवाल-जवाब
लॉर्ड विलियम बेंटिंक कौन थे?
वे ब्रिटिश सेना अधिकारी और भारत के पहले गवर्नर जनरल (1828-1835) थे, जिन्होंने सामाजिक और प्रशासनिक सुधार किए।
सती प्रथा कब और कैसे खत्म हुई?
4 दिसंबर 1829 को बेंटिंक ने रेगुलेशन XVII लागू कर सती प्रथा को गैरकानूनी घोषित किया। राजा राम मोहन राय उनके सहयोगी थे।
बेंटिंक के शैक्षणिक सुधार क्या थे?
1835 में मैकॉले मिनट (2 फरवरी, 1835 को थॉमस बैबिंगटन मैकाले द्वारा प्रस्तुत भारतीय शिक्षा पर एक रिपोर्ट थी, जिसने भारत में अंग्रेजी शिक्षा की वकालत की और पश्चिमी विज्ञान व साहित्य को प्राथमिकता दी) के तहत अंग्रेजी शिक्षा को बढ़ावा दिया और कोलकाता मेडिकल कॉलेज की स्थापना की।
ठगी क्या थी और इसे कैसे रोका गया?
ठग डकैतों का गिरोह था जो यात्रियों को लूटता था। विलियम स्लीमैन की मदद से बेंटिंक ने 1837 तक इसे खत्म किया।
बेंटिंक भारत से कब बापस लौटे?
1835 में स्वास्थ्य कारणों से वे इंग्लैंड लौटे और बाद में पेरिस में उनका निधन हुआ।






