एनी बेसेंट (Annie Besant) एक ब्रिटिश समाज सुधारक, ब्रह्मविद्यावादी और राजनीतिक कार्यकर्ता थीं, जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें होमरूल आंदोलन में उनके नेतृत्व और भारत में शिक्षा, महिला अधिकारों और सामाजिक सुधारों को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों के लिए याद किया जाता है। इस लेख का उद्देश्य एनी बेसेंट के जीवन, योगदान और विरासत का विस्तार से अध्ययन करना है।
| होम रूल आंदोलन की जननी कांग्रेस की प्रथम महिला अध्यक्ष (1917) BHU की नींव रखने वाली गांधी से पहले जन-आंदोलन की प्रेरणा |
| विवरण | तथ्य |
|---|---|
| पूर्ण नाम | Annie Wood Besant (एनी वुड बेसेंट) |
| जन्म | 1 अक्टूबर 1847 |
| जन्म स्थान | क्लैफम, लंदन (इंग्लैंड) |
| राष्ट्रीयता | ब्रिटिश (आयरिश मूल) |
| मृत्यु | 20 सितंबर 1933 |
| मृत्यु स्थान | अडयार, मद्रास (अब चेन्नई, भारत) |
| उपनाम | भारत की आयरिश माँ, होम रूल की रानी |
| पति | रेवरेंड फ्रैंक बेसेंट (विवाह: 1867, तलाक: 1873) |
| संतान | डिग्बी बेसेंट (पुत्र, 1868), माबेल बेसेंट (पुत्री, 1870) |
| प्रमुख संगठन | थियोसोफिकल सोसाइटी (अध्यक्ष: 1907–1933) |
| भारत आगमन | 16 नवंबर 1893 |
| प्रमुख योगदान | होम रूल आंदोलन (1916), कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष (1917), BHU की नींव (CHC 1898) |
| अखबार | न्यू इंडिया (1914 से संपादक) |
| प्रमुख पुस्तकें | The Ancient Wisdom, India: A Nation, How India Wrought for Freedom |
| UPSC कीवर्ड | होम रूल लीग, केंद्रीय हिंदू कॉलेज, महिला मताधिकार, हिंदू पुनर्जागरण |

Annie Besant Intro: एनी बेसेंट के बारे में
- एनी बेसेंट (1847–1933) एक प्रतिष्ठित समाज सुधारक, ब्रह्मविद्यावादी, लेखिका और भारतीय स्वशासन की समर्थक थीं।
- भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक प्रमुख व्यक्तित्व के रूप में, उन्होंने 20वीं सदी के प्रारंभ में भारत के आध्यात्मिक और राजनीतिक क्षेत्रों को आपस में जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- शिक्षा को बढ़ावा देने, महिलाओं के अधिकारों की वकालत करने और भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ने के उनके प्रयासों ने उन्हें भारतीय और वैश्विक इतिहास में एक प्रमुख व्यक्तित्व बना दिया।
| बचपन की प्रमुख घटनाएँ | तिथि | प्रभाव |
|---|---|---|
| पिता की मृत्यु | 1852 | आर्थिक संकट, स्वावलंबन की प्रेरणा |
| यूरोप यात्रा | 1862 | धर्म-विज्ञान पर संदेह |
| चर्च से विद्रोह | 1866 | नास्तिकता की ओर |
Annie Besant Biography: एनी बेसेंट की जीवनी
- 1 अक्टूबर 1847 को लंदन में जन्मी एनी बेसेंट का झुकाव शुरू से ही बौद्धिक और सामाजिक सुधार की ओर था।
- रेवरेंड फ्रैंक बेसेंट से विवाह के बाद, वह अपने रूढ़िवादी परिवेश से निराश हो गईं और उन्होंने अधिक स्वतंत्र मार्ग अपनाया।
- चार्ल्स ब्रेडलाफ के साथ उनके प्रारंभिक जुड़ाव ने उन्हें धर्मनिरपेक्षता और मुक्त विचार आंदोलन से परिचित कराया, जिसने उनके सुधारवादी उत्साह की नींव रखी।

| विवरण | तथ्य |
|---|---|
| विवाह | 26 दिसंबर 1867 (20 वर्ष की आयु में) |
| पति | रेवरेंड फ्रैंक बेसेंट (Frank Besant) – एंग्लिकन पादरी |
| विवाह स्थल | हेस्टिंग्स, इंग्लैंड |
| संतान | 1. डिग्बी बेसेंट (पुत्र, 1868) 2. माबेल बेसेंट (पुत्री, 1870) |
| वैवाहिक जीवन | 1873 में विवाह विच्छेद (तलाक) |
| कारण | – धार्मिक मतभेद (एनी नास्तिक बनीं) – पति का हिंसक व्यवहार – बच्चों की कस्टडी के लिए कानूनी लड़ाई |
एनी बेसेंट की थियोसोफी और भारत की यात्रा
- आध्यात्मिक ज्ञान की खोज में बेसेंट को थियोसोफिकल सोसाइटी की ओर ले जाया गया, जिसकी सह-स्थापना हेलेना ब्लावात्स्की ने की थी।
- उन्होंने थियोसोफी को अपनाया, जो एक आध्यात्मिक आंदोलन था जो सभी धर्मों की एकता और दिव्य सत्य की खोज पर जोर देता था।
- 1893 में, बेसेंट भारत पहुँचीं, जहाँ उन्हें अपने जीवन का लक्ष्य मिला। उनका मानना था कि भारत आध्यात्मिक ज्ञान का उद्गम स्थल है और वे इसकी प्राचीन परंपराओं से गहराई से प्रेरित थीं।
- थियोसोफिकल सोसाइटी के साथ उनके कार्य को भारत में गति मिली, जहां उन्होंने सार्वभौमिक भाईचारे, शिक्षा और आध्यात्मिक कायाकल्प के विचार का प्रचार किया।
प्राथमिक स्रोत: एनी बेसेंट की Autobiographical Sketches (1885) में उल्लेख: “मैंने ईश्वर को खोजा, पर पादरियों के सिद्धांतों में नहीं पाया।”
| विवरण | तथ्य |
|---|---|
| प्रथम भारत यात्रा | 16 नवंबर 1893 (46 वर्ष की आयु में) |
| जहाज | S.S. Oriental, बॉम्बे बंदरगाह |
| उद्देश्य | थियोसोफिकल सोसाइटी का कार्य विस्तार |
| प्रथम निवास | अडयार, मद्रास (अब चेन्नई) – थियोसोफिकल सोसाइटी मुख्यालय |
भारत आने के कारण:
- मैडम ब्लावट्स्की (थियोसोफी संस्थापक) की मृत्यु (1891) के बाद नेतृत्व।
- कर्नल ऑल्कॉट के साथ भारत में थियोसोफी का विस्तार।
- हिंदू दर्शन (वेदांत, बौद्ध) की गहरी रुचि।
एनी बेसेंट के शैक्षिक सुधार
- एनी बेसेंट शिक्षा की परिवर्तनकारी शक्ति में दृढ़ विश्वास रखती थीं।
- 1898 में, उन्होंने वाराणसी में सेंट्रल हिंदू कॉलेज (सीएचसी) की स्थापना की, जो बाद में पंडित मदन मोहन मालवीय के नेतृत्व में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) का केंद्र बन गया।
- उनका उद्देश्य एक ऐसा संस्थान बनाना था जो आधुनिक पश्चिमी शिक्षा को पारंपरिक भारतीय मूल्यों के साथ मिश्रित करे।
- उन्होंने महिला शिक्षा को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसे वे भारतीय समाज के उत्थान में एक महत्वपूर्ण कदम मानती थीं।
- शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान सह-शिक्षा का समर्थन करने तथा सुलभ, समावेशी शिक्षा की वकालत करने तक विस्तृत था।
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एनी बेसेंट की भूमिका
- भारत में एनी बेसेंट की राजनीतिक भागीदारी भारतीय स्वराज के प्रति उनके प्रबल समर्थन से शुरू हुई।
- वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गईं और इसकी सबसे मुखर नेताओं में से एक बन गईं।
- 1916 में उन्होंने होम रूल आंदोलन शुरू किया, जिसमें ब्रिटिश साम्राज्य के भीतर भारत के लिए अधिक स्वायत्तता की मांग की गई।
- इस आंदोलन ने अनेक भारतीयों को स्वतंत्रता के लिए प्रेरित किया और यह स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण कदम था।
- उनके नेतृत्व और प्रयासों का परिणाम यह हुआ कि 1917 में उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया, जिससे वे इस प्रतिष्ठित पद पर आसीन होने वाली पहली महिला बनीं।
| होम रूल आंदोलन की समयरेखा | तिथि | घटना |
|---|---|---|
| लीग की स्थापना | 1 सितंबर 1916 | मद्रास |
| पहला सम्मेलन | सितंबर 1916 | 2000 सदस्य |
| तिलक से एकीकरण प्रयास | 1916 | असफल |
| गिरफ्तारी | 15 जून 1917 | इंटर्नमेंट ऑर्डर |
| रिहाई | 4 सितंबर 1917 | मोंटेग्यू घोषणा के बाद |
| कार्य | विवरण |
|---|---|
| केंद्रीय हिंदू कॉलेज (CHC), बनारस | 1898 में स्थापना (मदन मोहन मालवीय के साथ) → 1916 में BHU बना |
| महिला शिक्षा | अडयार में गर्ल्स स्कूल, संस्कृत पाठशाला |
| पत्रकारिता | न्यू इंडिया (दैनिक अखबार, 1914 से) – स्वराज की वकालत |
थियोसोफी और सामाजिक सुधार
- बेसेंट के दार्शनिक विश्वासों ने भारत में उनके सामाजिक सुधार कार्यों को प्रभावित किया। उन्होंने सभी धर्मों की एकता पर जोर दिया और सार्वभौमिक भाईचारे की वकालत की।
- उनके आध्यात्मिक आदर्शों ने उन्हें जाति व्यवस्था और अस्पृश्यता के विरुद्ध अभियान चलाने के लिए प्रेरित किया, जिसे वे भारत की प्रगति में महत्वपूर्ण बाधा मानती थीं।
- उन्होंने महिलाओं के अधिकारों का भी समर्थन किया, जिसमें बाल विवाह, बहुविवाह और पर्दा प्रथा के उन्मूलन की वकालत भी शामिल थी।
- एनी बेसेंट का मानना था कि महिलाओं की समान भागीदारी के बिना कोई समाज प्रगति नहीं कर सकता।
एनी बेसेंट का साहित्यिक योगदान
एनी बेसेंट एक विपुल लेखिका थीं जिन्होंने धर्म, दर्शन और राजनीति सहित विभिन्न विषयों पर 300 से अधिक किताबें और पुस्तिकाएँ लिखीं। उनकी रचनाओं में शामिल हैं:
- “प्राचीन ज्ञान” – आध्यात्मिक सत्यों की एक ब्रह्मविद्या संबंधी खोज।
- “भारत: एक राष्ट्र” – भारत की स्वतंत्रता के लिए एक भावुक अपील।
- अपने समाचार पत्र “न्यू इंडिया” में उन्होंने अनेक निबंध और लेख लिखे, जिनमें उन्होंने अपने राजनीतिक विचार व्यक्त किये और सामाजिक सुधार की वकालत की।
एनी बेसेंट की विरासत
एनी बेसेंट का निधन 20 सितंबर, 1933 को हुआ, लेकिन उनकी विरासत भारत की सामाजिक, शैक्षिक और राजनीतिक मुक्ति के लिए उनके अथक प्रयासों का प्रमाण है। उनके योगदानों में शामिल हैं:
| मृत्यु का विवरण | तथ्य |
|---|---|
| तिथि | 20 सितंबर 1933 |
| स्थान | अडयार, मद्रास |
| कारण | हृदयाघात (८६ वर्ष की आयु) |
| अंतिम शब्द | “मैं भारत के लिए जीती रही” |
- भारत में आधुनिक शिक्षा की आधारशिला, सेंट्रल हिंदू कॉलेज की स्थापना।
- महिलाओं के अधिकारों और शिक्षा को बढ़ावा देना।
- होम रूल आंदोलन का नेतृत्व किया, जो बड़े स्वतंत्रता आंदोलन का अग्रदूत बन गया।
- ब्रह्मविद्या को सुदृढ़ करना तथा पूर्व और पश्चिम के बीच अंतरसांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देना।
एनी बेसेंट और होम रूल लीग
| विवरण | तथ्य |
|---|---|
| प्रारंभ | सितंबर 1916 (एनी बेसेंट) |
| प्रेरणा | आयरलैंड का होम रूल आंदोलन |
| संगठन | ऑल इंडिया होम रूल लीग |
| सदस्यता | 1917 तक 27,000 सदस्य |
| मुखपत्र | न्यू इंडिया, कॉमनवील |
| सह-नेता | बाल गंगाधर तिलक (अलग लीग, अप्रैल 1916) |
- ब्रिटिश समाज सुधारक और ब्रह्मविद्यावादी एनी बेसेंट ने भारत के स्वशासन संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के भीतर भारत के लिए अधिक स्वायत्तता की मांग करने के लिए आयरिश होम रूल आंदोलन से प्रेरित होकर 1916 में होम रूल लीग की स्थापना की।
- अपनी लीग के माध्यम से, उन्होंने स्वशासन की वकालत करते हुए एक जोरदार अभियान चलाया, सार्वजनिक बैठकें आयोजित कीं, पर्चे प्रकाशित किए और जनमत जुटाया।
- एनी बेसेंट के प्रयासों ने राष्ट्रीय जागृति की भावना पैदा करने और भारतीय नेताओं के नेतृत्व में भविष्य के जन आंदोलनों की नींव रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- होम रूल लीग में उनके नेतृत्व ने उन्हें भारत में ब्रिटिश सत्ता को सक्रिय और प्रभावी ढंग से चुनौती देने वाली पहली महिलाओं में से एक बना दिया।
| भारत में किए गए कार्य (Works in India) | स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान (Contributions to Freedom Struggle) |
|---|---|
| भारत आगमन (1893) – थियोसोफिकल सोसाइटी का विस्तार, अडयार मुख्यालय में कार्य। | न्यू इंडिया अखबार (1914) – स्वराज की वकालत, ब्रिटिश नीतियों की आलोचना। |
| संस्कृत अध्ययन (1894) – उपनिषद, गीता का अंग्रेजी अनुवाद। | होम रूल लीग की स्थापना (1 सितंबर 1916) – डोमिनियन स्टेटस की माँग। |
| केंद्रीय हिंदू कॉलेज (CHC) की स्थापना (1898) – बनारस, मदन मोहन मालवीय के साथ। | 66 शहरों में 330 भाषण (1916–17) – जनजागरण, सदस्यता 27,000 तक। |
| महिला शिक्षा एवं सह-शिक्षा – अडयार में गर्ल्स स्कूल, संस्कृत पाठशाला। | गिरफ्तारी (15 जून 1917) – इंटर्नमेंट ऑर्डर, राष्ट्रीय एकता का प्रतीक। |
| BHU की नींव (1916) – CHC से बनारस हिंदू विश्वविद्यालय का विकास। | रिहाई (4 सितंबर 1917) – मोंटेग्यू घोषणा के बाद, होम रूल को बल। |
| जाति-विरोध, अस्पृश्यता उन्मूलन अभियान – थियोसोफी के माध्यम से। | कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष (दिसंबर 1917) – कलकत्ता अधिवेशन। |
| बाल विवाह, पर्दा प्रथा, बहुविवाह विरोध – महिला अधिकारों की वकालत। | प्रमुख प्रस्ताव (1917): महिला मताधिकार, राष्ट्रीय शिक्षा, होम रूल लक्ष्य। |
| हिंदू धर्म का वैश्विक प्रचार – वेदांत, योग का पश्चिम में प्रसार। | जलियांवाला बाग निंदा (1919) – ब्रिटिश क्रूरता पर लेख। |
| 300+ पुस्तकें/पुस्तिकाएँ – How India Wrought for Freedom, India Bond or Free। | गांधी से मतभेद (1920) – असहयोग का विरोध, पर स्वराज समर्थन। |
निष्कर्ष
एनी बेसेंट का जीवन आध्यात्मिक अन्वेषण, सामाजिक सुधार और राजनीतिक सक्रियता का संगम था। आध्यात्मिकता को कर्म के साथ जोड़ने के उनके अनूठे दृष्टिकोण ने उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक ताने-बाने पर अमिट छाप छोड़ने में मदद की। एनी बेसेंट साहस, बुद्धिमत्ता और न्याय एवं समानता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता की प्रतीक बनी हुई हैं। उनका योगदान हमें समर्पण की शक्ति और कठिन चुनौतियों के बावजूद न्याय और अधिकार के पक्ष में खड़े होने के स्थायी महत्व की याद दिलाता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
एनी बेसेंट की सबसे बड़ी देन?
होम रूल आंदोलन – गांधी से पहले जन-जागरण
क्या एनी बेसेंट गांधी की विरोधी थीं?
नहीं, मतभेद था – गांधी ने कहा: “वे मेरी गुरु थीं।”
BHU में एनी बेसेंट का योगदान?
CHC (1898) → BHU (1916) की आधारशिला
एनी बेसेंट ने कितने भाषण दिए?
1916 –1918 में ६६ शहरों में ३३० भाषण
एनी बेसेंट कौन थीं?
एनी बेसेंट एक ब्रिटिश समाज सुधारक, ब्रह्मविद्यावादी और भारतीय राष्ट्रवादी थीं, जिन्होंने भारत के स्वशासन की वकालत की और इसके स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह 1917 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष थीं।
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एनी बेसेंट का क्या योगदान है?
एनी बेसेंट ने 1916 में होम रूल लीग की स्थापना की, भारत में स्वशासन की वकालत की और जनसभाओं, लेखों और लामबंदी प्रयासों के माध्यम से राष्ट्रवादी भावनाओं को प्रेरित किया। उन्होंने शिक्षा, सांस्कृतिक पुनरुत्थान और सामाजिक सुधारों को बढ़ावा देने के लिए भी अथक प्रयास किया, जिसका भारत की स्वतंत्रता संग्राम पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा।
नी बेसेंट ने कौन सा समाचार पत्र शुरू किया था?
एनी बेसेंट ने न्यू इंडिया नामक समाचार पत्र शुरू किया, जिसका उपयोग उन्होंने स्वशासन, सामाजिक सुधार और भारतीय राष्ट्रवाद के विचारों को बढ़ावा देने के लिए एक मंच के रूप में किया।






