लाल बहादुर शास्त्री जीवनी: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री की पूरी कहानी | परिवार, शिक्षा, करियर और रोचक किस्से | Lal Bahadur Shastri Biography in Hindi

By Santosh kumar

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Lal Bahadur Shastri's family: लाल बहादुर शास्त्री का पारिवार

Lal Bahadur Shastri Story: अगर हम भारतीय स्वत्नत्रता के बाद सबसे ईमानदार राजनेता और प्रधानमंत्री की बात करें तो सिर्फ एक ही नाम सामने आता है, लाल बहादुर शास्त्री। वे जवाहरलाल नेहरू के बाद भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने, जिनकी सादगी, ईमानदारी और देशभक्ति अत्यंत प्रेरणादायी है। देश के किसान और जवान को महत्व देते हुए “जय जवान जय किसान” का नारा उन्हीने के द्वारा दिया गया। इस लेख के माध्यम से हम लाल बहादुर शास्त्री जी को याद कर रहे हैं और – उनके जन्म, परिवार, शिक्षा, राजनीतिक करियर, प्रधानमंत्री काल, मौत की रहस्यमयी घटना और रोचक किस्से आपके साथ साझा कर रहे हैं।

Lal Bahadur Shastri Biography in Hindi भारत के पूर्व प्रधानमंत्री की पूरी कहानी | उम्र, परिवार, शिक्षा, करियर और रोचक किस्से

Who was Lal Bahadur Shastri?: लाल बहादुर शास्त्री कौन थे?

लाल बहादुर शास्त्री एक प्रसिद्ध भारतीय राजनेता और स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने 1964 से 1966 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा की। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद वे प्रधानमंत्री चुने गए और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में देश का दृढ़ता से नेतृत्व किया। उनकी ईमानदारी और सादगी इसी बात से स्पष्ट होती है कि मृत्यु के समय उनके पास सिर्फ एक पुरानी कार थी, जिसकी किस्तें भी बाकी थीं।

विशेषताविवरण
नामलाल बहादुर शास्त्री
पूरा नामलाल बहादुर श्रीवास्तव
जन्म तिथि2 अक्टूबर 1904
जन्म स्थानमुगलसराय, संयुक्त प्रांत (अब उत्तर प्रदेश)
मृत्यु तिथि11 जनवरी 1966
मृत्यु स्थानताशकंद, उज्बेकिस्तान (सोवियत संघ)
पदभारत के प्रधानमंत्री (1964-1966)
प्रसिद्ध नाराजय जवान, जय किसान
पुरस्कारभारत रत्न (1966, मरणोपरांत)

Lal Bahadur Shastri’s family: लाल बहादुर शास्त्री का पारिवार

लाल बहादुर शास्त्री का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके पिता एक स्कूल अध्यापक थे, जो उनके बचपन में ही संसार से विदा हो गए थे। शास्त्री जी का लालन-पालन उनके ननिहाल में ही माता द्वारा किया गया। उन्होंने 24 वर्ष की आयु में 1928 में ललिता देवी से विवाह किया, वे 6 संतानों के पिता बने। शास्त्री जी के बाद उनके परिवार के कई सदस्य राजनीति में आये मगर ज्यादा सफल नहीं हुए।

Lal Bahadur Shastri's family: लाल बहादुर शास्त्री का पारिवार
परिवार सदस्यविवरण
पिताशरद प्रसाद श्रीवास्तव (स्कूल टीचर, 1906 में निधन)
मांरामदुलारी देवी
पत्नीललिता देवी (शादी: 1928)
बच्चे4 बेटे (हरि कृष्ण, अनिल, सुनील, अशोक) और 2 बेटियां (कुसुम, सुमन)

Education of Lal Bahadur Shastri: लाल बहादुर शास्त्री की एजुकेशन

शास्त्री जी का बचपन बहुत कठिनाई में बीता और शिक्षा अत्यंत चुनौतीपूर्ण रही। उन्होंने ईस्ट सेंट्रल रेलवे इंटर कॉलेज और हरिश चंद्र हाई स्कूल से पढ़ाई की, लेकिन देशभक्ति उनके खून में थी और स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के लिए स्कूल छोड़ दिया। बाद में काशी विद्यापीठ से दर्शनशास्त्र में डिग्री ली और “शास्त्री” उपाधि मिली।

स्तर/संस्थाविवरण
प्रारंभिक शिक्षाहरिश चंद्र हाई स्कूल, वाराणसी
कॉलेजकाशी विद्यापीठ, वाराणसी (1925 में स्नातक)
डिग्रीदर्शनशास्त्र और नैतिकता में प्रथम श्रेणी
प्रभावमहात्मा गांधी और स्वामी विवेकानंद से प्रेरित
विशेषस्वतंत्रता आंदोलन के लिए स्कूल की पढ़ाई बीच में छोड़ी

कठिनाई भरा था प्रारम्भिक जीवन

लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ। पिता की असमय मृत्यु के बाद वे ननिहाल में पले-बढ़े। उन्होंने अपनी जाति का सरनेम “श्रीवास्तव” छोड़ दिया और गाँधी जी की प्रेरणा से हरिजनों के उत्थान के लिए काम किया। 1920 के दशक में गांधीजी से प्रभावित होकर असहयोग आंदोलन (1920 – 22 ) में शामिल हुए।

1921 में स्कूल की पढाई बीच में छोड़कर कांग्रेस के सक्रिय सदस्य बन गए और स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कई बार जेल गए। 1925 में काशी विद्यापीठ से शास्त्री की उपाधि मिली। वे सर्वेंट्स ऑफ द पीपल सोसाइटी के अध्यक्ष भी बने।

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स्वतंत्रता के बाद राजनीतिक सफर

भारत की स्वतंत्रता के बाद शास्त्री जी उत्तर प्रदेश में संसदीय सचिव बने। 1947 में पुलिस और परिवहन मंत्री के रूप में महिलाओं को कंडक्टर बनाने वाले शास्त्री जी ही प्रथम व्यक्ति थे। 1951 में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के महासचिव बने और 1952, 1957, 1962 के चुनावों में कांग्रेस की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

नेहरू कैबिनेट में रेल मंत्री (1952-1956), वाणिज्य मंत्री (1959), गृह मंत्री (1961-1963) और विदेश मंत्री (1964) रहे। जब वह रेलमंत्री थे तो रेल दुर्घटनाओं (1956 में महबूबनगर और अरियालुर रेल दुर्घटनाओं ) की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया, जो नैतिकता की एक मिसाल है।

स्वतंत्रता के बाद राजनीतिक सफर lal bahadur shastri in nehru cabbinet
वर्षपद/भूमिका
1947उत्तर प्रदेश में संसदीय सचिव
1947पुलिस और परिवहन मंत्री, उत्तर प्रदेश
1951ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी के महासचिव
1952, 1957, 1962चुनाव में योगदान
1952-1956रेल और परिवहन मंत्री, भारत
1959वाणिज्य और उद्योग मंत्री, भारत
1961-1963गृह मंत्री, भारत
1964विदेश मंत्री, भारत

प्रधानमंत्री काल: 1964-1966 की उपलब्धियां

9 जून 1964 को जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु के बाद लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बने। प्रधानमंत्री पर सँभालने के बाद उन्होंने नेहरू की समाजवादी नीतियां जारी रखीं। प्रधानमंत्री के रूप में शास्त्री जी की मुख्य उपलब्धियां इस प्रकार थीं-

  • श्वेत क्रांति: दूध उत्पादन में वृद्धि के लिए अमूल कोऑपरेटिव और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की स्थापना में सहयोग दिया।
  • हरित क्रांति: 1965 में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में अनाज उत्पादन में वृद्धि के लिए हरित क्रांति का आगाज किया।
  • खाद्य नीतियां: जिस समय भारत और चीन का युद्ध हुआ और अनाज की कमी के कारण लोगों से एक समय का भोजन छोड़ने की अपील की, खुद परिवार सहित शास्त्री जी ने भी शुरू किया।
  • 1965 भारत-पाक युद्ध: पाकिस्तान के हमले का दृढ़ता से मुकाबला किया, “जय जवान जय किसान” नारा देश को दिया।
  • ताशकंद समझौता: 10 जनवरी 1966 को पाकिस्तान के साथ शांति समझौता किया।

लाल बहादुर शास्त्री की मौत का रहस्य: ताशकंद में क्या हुआ?

11 जनवरी 1966 को ताशकंद में दिल का दौरा पड़ने से शास्त्री की मृत्यु हुई। लेकिन उनकी मौत को एक षड्यंत्र माना गया है। उनके परिवार और समर्थक उनकी मृत्यु का कारण भोजन में जहर देना बताते हैं। उनकी मृत्यु का रहस्य जानने के लिए RTI में फाइल है, लेकिन यह गोपनीय है। फिल्म “द ताशकंद फाइल्स” शास्त्री जी की रहस्यमय मृत्यु पर ही आधारित है। उनकी मृत्यु के बाद इंदिरा गांधी भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं।

लाल बहादुर शास्त्री की मौत का रहस्य

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शास्त्री जी की विरासत और सम्मान

शास्त्री जी को देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न (मरणोपरांत) मिला। उनके नाम पर लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन, लाल बहादुर शास्त्री इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, विजय घाट मेमोरियल आदि हैं। कई स्टेडियम, सड़कें और हवाई अड्डा (वाराणसी) उनके नाम पर। वे सादगी और ईमानदारी की मिसाल हैं। 2011 में सरकार द्वारा उनके पैतृक घर को संग्रहालय बनाया गया।

लाल बहादुर शास्त्री जी से जुड़े रोचक किस्से

लाल बहादुर शास्त्री, भारत के दूसरे प्रधानमंत्री, न केवल अपनी सादगी और ईमानदारी के लिए जाने जाते हैं, बल्कि उनके जीवन से जुड़े कई रोचक किस्से भी हैं जो उनकी महानता को दर्शाते हैं। ये किस्से उनकी सादगी, देशभक्ति और नैतिकता की मिसाल पेश करते हैं। आइए, उनके जीवन के कुछ अनोखे और प्रेरणादायक किस्सों पर नजर डालें:

1. सादगी की मिसाल: कर्ज में डूबी कार

लाल बहादुर शास्त्री ईमानदारी और सादगी की मिशाल रहे। मृत्यु के समय, उनके पास निजी संपत्ति के नाम पर सिर्फ एक पुरानी कार थी, जिसे उन्होंने सरकारी किस्तों पर खरीदा था। इसमें हैरानी इस बात की है कि उनकी मृत्यु के समय उस कार की कुछ किस्तें भी शेष थीं। एक प्रधानमंत्री के लिए इतना सादा और ईमानदारी का जीवन जीना आज के समय में अकल्पनीय है। यह दर्शाता है कि शास्त्री जी ने भौतिक सुख-सुविधाओं से ज्यादा देश सेवा को महत्व दिया।

2. रेल दुर्घटना और इस्तीफा

1956 में शास्त्री जी नेहरू मंत्रिमंडल में रेल मंत्री के पद पर थे। दुर्भाग्य से उस साल दो बड़े रेल हादसे हुए – महबूबनगर और अरियालुर। इन हादसों में कई लोगों की जान गई। शास्त्री जी ने नैतिकता के आधार पर अपने पद से इस्तीफा दे दिया। हलाकीपहली बार में नेहरू ने इसे ठुकरा दिया, मगर शास्त्री जी नहीं माने और इस्तीफा भेज दिया, मजबूरन नेहरू को इस्तीफा स्वीकार करना पड़ा। ऐसी नैतिकता की मिशाल क्या आज के किसी रेलमंत्री में है?

3. खुद से शुरू किया “शास्त्री व्रत”

1965 में भारत में भारी खाद्य संकट था। इस स्थिति में शास्त्री जी ने देशवासियों से अपील की कि वे सप्ताह में एक समय का भोजन छोड़ दें, ताकि बचा हुआ भोजन जरूरतमंदों तक पहुंच सके। लेकिन इस अपील से पहले उन्होंने अपने परिवार से इसकी शुरुआत की। इस अपील का इतना असर हुआ कि देशभर के रेटोरेन्ट सोमवार की शाम को बंद रहने लगे। यह मिशाल है कि नेता जनता से तो त्याग चाहते हैं मगर खुद शुरुआत करने से कतराते हैं, मगर शास्त्री जी इसके विपरीत थे और उन्होंने खुद अपने परिवार से इसकी शुरुआत की।

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4. अमूल के साथ रात बिताई

शास्त्री ने भारत में दुग्ध उत्पादन में बढ़ोत्तरी के लिए श्वेत क्रांति की शुरुआत की और अमूल कोऑपरेटिव की स्थापना में समर्थन दिया। 1964 में वे गुजरात के आनंद गए और वहां अमूल के कैटल फीड फैक्ट्री का उद्घाटन किया। वे यह समझना चाहते थे कि यह सहकारी मॉडल कैसे काम करता है। उन्होंने वास्तविकता को जानने और सकारात्मक सन्देश देने के लिए एक रात किसान के घर बिताई। इस दौरे के बाद ही राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की स्थापना हुई।

5. ताशकंद में अनौपचारिक मुलाकात

1964 में शास्त्री काहिरा में गैर-संरेखण (non alignment) सम्मेलन से लौट रहे थे। पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान ने उन्हें कराची में रुककर दोपहर का भोजन साथ करने का निमंत्रण दिया। शास्त्री ने प्रोटोकॉल तोड़कर यह निमंत्रण स्वीकार किया। अयूब खान खुद उन्हें एयरपोर्ट पर लेने आए और दोनों ने अनौपचारिक बातचीत की। यह किस्सा उनकी सौम्यता और कूटनीति को दर्शाता है, जो बाद में 1965 के युद्ध के बाद ताशकंद समझौते में भी दिखी।

6. जेल में और घर बेटी की मौत

1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान शास्त्री जेल में थे। उनकी बेटी बहुत बीमार थी, और उन्हें पैरोल पर रिहा किया गया। लेकिन उस समय डॉक्टरों ने महंगी दवाइयां लिखीं, जो शास्त्री जी नहीं खरीद सके। दुखद रूप से उनकी बेटी की मृत्यु हो गई। यह किस्सा दर्शाता है कि वे किस आर्थिक तंगी से गुजर रहे थे मगर कभी सच्चाई के रास्ते से डिगे नहीं।

7. जब पहली बार पहना पायजामा

शास्त्री जी हमेशा धोती पहनते थे। एक बार 1961 में रानी एलिजाबेथ के सम्मान में राष्ट्रपति भवन में आयोजित रात्री भोज में वे पायजामा पहनकर गए, जो उनके लिए एक असामान्य और असहज था। यह एकमात्र अवसर था जब उन्होंने धोती के बजाय पायजामा पहना।

8. “जय जवान जय किसान” का उद्घोष

1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान शास्त्री जी ने “जय जवान जय किसान” का नारा दिया। यह नारा युद्ध में सैनिकों की बहादुरी और किसानों के खाद्य उत्पादन में योगदान को सम्मान देने के लिए था। 19 अक्टूबर 1965 को इलाहाबाद के उरवा में इस नारे ने पूरे देश को जोश से भर दिया। यह नारा आज भी भारत की आत्मा को दर्शाता है।

9. मंत्री पद छोड़ने के बाद अंधेरे में

1963 में जब शास्त्री जी को नेहरू मंत्रिमंडल से हटाया गया, तब वे अपने घर में बिना बिजली के बैठे थे। जब किसी ने उनसे पूछा कि लाइट क्यों बंद है, तो उन्होंने कहा कि अब वे मंत्री नहीं हैं, इसलिए बिजली का खर्च खुद उठाना होगा, और उनकी कमाई इतनी नहीं थी।

10. पाकिस्तान को लाहौर में रोका

1965 के युद्ध में जब भारतीय सेना ने लाहौर की ओर बढ़ना शुरू किया, तो शास्त्री जी ने सेना को अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करने की अनुमति दी। लेकिन युद्धविराम के समय उन्होंने लाहौर पर कब्जा करने की बजाय शांति को चुना। इसके बाद ताशकंद समझौते से शांति के मार्ग को चुना।

लाल बहादुर शास्त्री से जुड़े कुछ तथ्य

  • वे सामान्य कद-काठी के थे और 5 फीट 2 इंच लंबे थे, लेकिन दिल से बहुत बड़े।
  • मंत्री रहते हुए भी सादा जीवन जिया, मृत्यु के समय कार की किस्तें बाकि थीं।
  • पहली बार महिलाओं को बस कंडक्टर बनाया।
  • हरित और श्वेत क्रांति के जनक थे।
  • 1965 युद्ध में लाहौर पर हमला रोका।
  • फिल्म “उपकार” और “द ताशकंद फाइल्स” में उन्हें याद किया गया।

FAQ: लाल बहादुर शास्त्री से जुड़े सवाल

Q1: मृत्यु के समय लाल बहादुर शास्त्री की उम्र कितनी थी?

A: 61 साल।

Q2: लाल बहादुर शास्त्री का प्रसिद्ध नारा क्या था?

A: जय जवान, जय किसान।

Q3: लाल बहादुर शास्त्री की शिक्षा कहां हुई?

A: काशी विद्यापीठ से दर्शनशास्त्र में डिग्री।

Q4: लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु कैसे हुई?

दिल का दौरा पड़ने से, मगर परिवार ने जहर देकर मारने का आरोप लगाया।

Q5: लाल बहादुर शास्त्री का परिवार कितना बड़ा था?

A: पत्नी और 6 बच्चे।

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